न्यायालय ने नीट-पीजी परीक्षा के दो पालियों में आयोजन के खिलाफ याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
आशीष दिलीप
- 05 May 2025, 05:56 PM
- Updated: 05:56 PM
नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने नीट-पीजी 2025 परीक्षा दो पालियों में आयोजित करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा।
याचिका में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) को 15 जून को होने वाली परीक्षा एक ही पाली में आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान, पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा का माहौल सुनिश्चित किया जा सके।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने सात चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की, जिन्होंने एक ही पाली में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) 2025 आयोजित करने के लिए देश भर में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
न्यायालय ने याचिका पर एनबीईएमएस, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद और केंद्र को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है।
एनबीईएमएस को अनुमोदित विशेषज्ञताओं में स्नातकोत्तर और पोस्टडॉक्टोरल परीक्षाएं आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसके परिणामस्वरूप डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) और डॉक्टरेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीआरएनबी) और फेलो ऑफ नेशनल बोर्ड (एफएनबी) की उपाधि प्रदान की जाती है।
याचिकाकर्ताओं ने एनबीईएमएस द्वारा जारी 16 अप्रैल की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि नीट-पीजी 2025 परीक्षा 15 जून को दो पालियों में आयोजित की जाएगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुकृति भटनागर और अभिष्ट हेला पेश हुए।
याचिका में कहा गया है, ‘‘दो पालियों में परीक्षा आयोजित करने से गैर बराबरी की संभावना है, क्योंकि विभिन्न पालियों में कठिनाई का स्तर अलग-अलग होगा, पारदर्शी और सटीक सामान्यीकरण प्रक्रिया की चुनौतियां होंगी और उम्मीदवारों के लिए तनाव और चिंता बढ़ेगी।’’
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता सभी उम्मीदवारों के लिए प्रतिस्पर्धा के न्यायसंगत, निष्पक्ष, उचित और बराबरी के आधार को बनाए रखने के लिए नीट-पीजी 2025 को एक ही पाली में आयोजित करने के निर्देश का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि इस परीक्षा में 0.1 अंक का अंतर भी एक उम्मीदवार की रैंक को सैकड़ों और हजारों तक बदल सकता है।
याचिका में कहा गया है कि नीट-पीजी 2025 में चिकित्सा विशेषज्ञता की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इसमें कहा गया है कि दो पालियों में इतनी व्यापक परीक्षा आयोजित करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उम्मीदवारों के अधिकारों का सीधे तौर पर उल्लंघन है, क्योंकि ‘मॉडरेशन’ और सामान्यीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण प्रतियोगिता के न्यायसंगत, निष्पक्ष, उचित और बराबरी के आधार को बनाए रखना लगभग असंभव है।
याचिका में दावा किया गया है कि यह अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है, क्योंकि यह प्रक्रिया निष्पक्ष परीक्षा के मूल अधिकार का उल्लंघन करती है।
इसमें कहा गया है कि नीट-पीजी 2024 भी दो-पाली प्रारूप में आयोजित की गई थी और प्रारूप और उसके बाद की सामान्यीकरण प्रणाली से उत्पन्न समस्याओं के कारण परिणामों को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी गई थी।
याचिका में नीट-पीजी 2025 को एक ही पाली में आयोजित करने के लिए नयी अधिसूचना जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
भाषा आशीष