दीघा मंदिर से ‘जगन्नाथ धाम’ शब्द हटाने की मांग, ओडिशा सरकार ने जांच के आदेश दिए
पारुल
- 03 May 2025, 12:43 AM
- Updated: 12:43 AM
भुवनेश्वर, दो मई (भाषा) ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के भक्तों और पुजारियों के एक वर्ग ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा नवनिर्मित दीघा मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ के रूप में चित्रित करने पर नाराजगी जताई है।
इस विवाद के बीच ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) से मामले की जांच करने को कहा।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि पुरी के कुछ सेवकों ने दीघा मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लिया था और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में मंदिर की मूर्तियां बनाने के लिए 2015 के 'नवकलेवर' (नए रूप) से बची हुई 'नीम' की लकड़ी का इस्तेमाल किया था।
'नवकलेवर' प्रत्येक 12 या 19 वर्ष पर आयोजित होने वाला एक अनुष्ठान है, जिसके दौरान पुरी मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्तियां बदली जाती हैं।
इसके अलावा, पुजारियों, भक्तों, विद्वानों और पंडितों के एक वर्ग ने दीघा मंदिर से 'जगन्नाथ धाम' शब्द हटाने की मांग की।
दोनों मुद्दों पर राज्यव्यापी आक्रोश को ध्यान में रखते हुए कानून मंत्री हरिचंदन ने एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी को एक पत्र लिखा और उनसे पूरे मामले की आंतरिक जांच करने तथा सच्चाई को जनता के सामने लाने की व्यवस्था करने को कहा।
तीस अप्रैल को दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के दौरान मुख्य पुजारी रहे रामकृष्ण दासमोहपात्रा ने भी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में नये मंदिर से जुड़े ‘जगन्नाथ धाम’ शब्द को हटाने की मांग की।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से दीघा जगन्नाथ मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटाने का अनुरोध करता हूं।’’
दासमोहपात्रा ने कहा, ‘‘मैं ओडिशा सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) से भी इस मामले पर बातचीत शुरू करने का आग्रह करता हूं। मेरी समझ से, पुरी ही एकमात्र स्थान है, जिसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जाता है।’’
उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में बनर्जी को पत्र लिखेंगे।
उपमुख्यमंत्री केवी सिंह देव ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी इस घटनाक्रम से अवगत हैं।
देव ने कहा, ‘‘मेरे पास सीमित ज्ञान है और मैं उनके (बनर्जी) जितना बुद्धिमान नहीं हूं। मैं जानता हूं कि भारत में चार ‘धाम’ हैं। उन्हें (बनर्जी) यह बताना चाहिए कि उन्होंने दीघा मंदिर को ‘धाम’ क्यों कहा। देश में कई जगन्नाथ मंदिर हो सकते हैं, लेकिन पुरी एकमात्र जगन्नाथ ‘धाम’ है।’’
प्रसिद्ध रेत कलाकार और पद्मश्री से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सफाई मांगी है।
उन्होंने बनर्जी पर दुनिया भर में भगवान जगन्नाथ के करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
बुधवार को दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के बाद बनर्जी ने इसे ‘धाम’ की संज्ञा दी थी।
ओडिशा के मुख्यमंत्री माझी को लिखे पत्र में पटनायक ने कहा, ‘‘इस कदम से दुनिया भर के लाखों जगन्नाथ भक्तों की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। हमारे पवित्र धर्मग्रंथों के अनुसार, केवल एक ही ‘जगन्नाथ धाम’ है, जो पुरी में स्थित है। किसी अन्य मंदिर को इस नाम से जोड़ने से भ्रम पैदा हो सकता है।’’
पटनायक ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह दीघा स्थित मंदिर को ‘धाम’ के रूप में पेश करने के लिए भगवान जगन्नाथ के लाखों भक्तों से माफी मांगें।’’
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य माधव महापात्रा ने बनर्जी से अपील की कि वह ऐसा ‘‘गलत दावा’’ करने से बचें।
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