'विभाजनकारी राजनीति के प्रतीक' हैं सपा प्रमुख अखिलेश यादव : राज्य मंत्री असीम अरुण
सलीम राजकुमार
- 22 Apr 2025, 08:18 PM
- Updated: 08:18 PM
लखनऊ, 22 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘विभाजनकारी राजनीति का प्रतीक’ करार दिया।
अरुण ने मंगलवार को एक बयान में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अखिलेश यादव दलितों को अपमानित करने के लिए हर संभव प्रयास करते रहे और यही मानसिकता उनके राजनीतिक पतन का कारण बनी।
उन्होंने बयान में कहा कि जनता ने ऐसी राजनीति को पूरी तरह से नकार दिया है और उन्हें हाशिये पर धकेल दिया है।
अरुण ने कहा कि सपा के अधिकतर नेताओं को सामाजिक विभाजन पैदा करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन आज उत्तर प्रदेश की जनता सतर्क और जागरूक है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे, तो सुरक्षित रहोगे। यह सरकार समावेशी शासन में विश्वास करती है।’’
सपा द्वारा दलितों के सम्मान को लेकर चिंता जताये जाने पर उन्होंने कहा कि यह पार्टी सत्ता से बेदखल होने के बाद यह राजनीतिक पैंतरा खेल रही है।
अरुण ने अखिलेश यादव पर अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान दलितों के सम्मान में बनाये गये जिलों और संस्थानों का नाम बदलकर दलितों का अपमान करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘भीम नगर, महामाया नगर, ज्योतिबा फुले, संत रविदास और यहां तक कि भगवान बुद्ध की मां महामाया जैसे नाम हटा दिए गए। क्या यह सम्मान है? नहीं, यह वास्तव में सामाजिक चेतना का अपमान है।’’
पूर्व आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने अनुभव बताते हुए अरुण ने कहा, ‘‘सपा शासन के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारियों को नियमों का उल्लंघन कर थानों और तहसीलों में तैनाती से वंचित किया गया।’’
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार के शासन में योग्यता के आधार पर तैनाती दी जाती है तथा जो लोग अक्षम हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है।
मौजूदा सरकार की उपलब्धियों गिनाते हुए अरुण ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने छात्रवृत्ति वितरण में रिकॉर्ड प्रगति देखी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस साल चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति वितरित की गई है, जिससे 56 लाख छात्रों को लाभ मिला है।
उन्होंने दावा किया कि इसके विपरीत सपा सरकार ने केवल 34 लाख छात्रों को ही यह लाभ दिया था, तब भी बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति घोटाले हुए थे।
अरुण ने यह भी आरोप लगाया कि 2017 में चुनावी हार को देखते हुए अखिलेश यादव ने छात्रवृत्ति रोक दी थी, लेकिन सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार में दो वित्त वर्षों के लिए रकम जारी करके निरंतरता सुनिश्चित की।
भाषा सलीम