फ्रांसिस ने मृत्युदंड व परमाणु हथियारों पर चर्च की नीति बदली, गर्भपात पर बरकरार रखा रुख
एपी प्रशांत माधव
- 21 Apr 2025, 04:46 PM
- Updated: 04:46 PM
वेटिकन सिटी, 21 अप्रैल (एपी) पोप फ्रांसिस ने मृत्युदंड और परमाणु हथियारों जैसे विषयों पर कैथोलिक चर्च की नीति को बदल दिया जबकि गर्भपात जैसे अन्य मामलों में इसे पूर्ववत रखा। उन्होंने मुसलमानों और उन मतावलंबियों के बीच पैठ बनाई जो लंबे समय से हाशिए पर महसूस कर रहे थे।
प्रमुख मुद्दों पर पोप फ्रांसिस का क्या रुख था यह जानना दिलचस्प होगा।
गर्भपात
फ्रांसिस ने गर्भपात का विरोध करने वाली चर्च की शिक्षा को बरकरार रखा तथा अपने पूर्ववर्तियों के निर्देशों को दोहराते हुए कहा कि मानव जीवन पवित्र है तथा इसकी रक्षा की जानी चाहिए।
दुर्व्यवहार
फ्रांसिस के पोप रहने के दौरान सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब उन्होंने चिली के यौन शोषण पीड़ितों की अनदेखी कर एक बिशप का पक्ष लिया, जिस पर यौन शोषण में मिलीभगत का आरोप था।
अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने पीड़ितों को वेटिकन आमंत्रित किया और व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी।
बेनेडिक्ट
पोप बेनेडिक्ट 16वें ने 600 वर्षों में पहली बार पोप पद से इस्तीफा दिया और फ्रांसिस को उनके स्थान पर चुना गया।
बेनेडिक्ट के 2022 में अपनी मृत्यु तक वेटिकन परिसर में रहने के बारे में फ्रांसिस ने कहा कि यह घर पर एक “बुद्धिमान दादा” के होने जैसा है, उनका मानना है कि बुजुर्गों के पास देने के लिए अनुभव का खजाना है।
पूंजीवाद
कुछ रूढ़िवादी अमेरिकी टिप्पणीकारों ने फ्रांसिस पर मार्क्सवादी सहानुभूति रखने का आरोप लगाया, क्योंकि वे अक्सर उन आर्थिक प्रणालियों की निंदा करते हैं जो लोगों की तुलना में धन को “आदर्श” बनाती हैं और अमेरिकी शैली के पूंजीवाद के प्रति स्पष्ट अरुचि रखती हैं।
उन्होंने सार्वभौमिक बुनियादी आय, सम्मानजनक वेतन और कार्य स्थितियों का आह्वान किया और कहा कि वैश्वीकरण ने कई लोगों को गरीबी से बचाया है, लेकिन “इसने कई अन्य लोगों को भूख से मरने के लिए मजबूर कर दिया है, क्योंकि यह एक चयनात्मक आर्थिक प्रणाली है”। उन्होंने वैश्वीकरण के बारे में कहा, “यह अर्थव्यवस्था जानलेवा है”।
बह्मचर्य
फ्रांसिस ने लैटिन रीति के पुजारियों के लिए ब्रह्मचर्य को बरकरार रखा, जबकि अमेजन के बिशप उनसे पादरियों की कमी को दूर करने के लिए विवाहित पुजारियों को अनुमति देने के लिए अपवाद बनाने का अनुरोध कर रहे थे।
गर्भनिरोध
फ्रांसिस ने कृत्रिम गर्भनिरोधक के प्रति चर्च के विरोध का बचाव किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कैथोलिकों को “खरगोशों की तरह” प्रजनन करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें स्वीकृत तरीकों के माध्यम से “जिम्मेदार अभिभावक” की तरह आचरण करना चाहिए।
कोविड-19
कोविड-19 के दौरान पोप फ्रांसिस भी इस बीमारी से ग्रसित हुए। उन पर यात्रा पाबंदियां लागू रहीं और सार्वजनिक कार्यक्रम बंद रहे। फ्रांसिस ने टीकाकरण अभियान का पुरजोर समर्थन किया और मांग की कि गरीबों को प्राथमिकता दी जाए।
मृत्यु दंड
फ्रांसिस ने अपने पूर्ववर्तियों से आगे जाकर कैथोलिक शिक्षा को बदल दिया और कहा कि अपराध की गंभीरता की परवाह किए बिना सभी मामलों में मृत्युदंड “अस्वीकार्य” है।
तलाक
फ्रांसिस ने तलाकशुदा और पंजीकृत विवाह करने वाले कैथोलिकों को गिरिजाघरों से जुड़ने का अवसर देकर चर्च की राय को विभाजित कर दिया। चर्च की शिक्षा यह मानती है कि, प्रारंभिक विवाह को अमान्य घोषित करने के लिए चर्च द्वारा जारी निरस्तीकरण के बिना, ये कैथोलिक व्यभिचार कर रहे हैं और इस प्रकार वे संस्कार प्राप्त नहीं कर सकते। फ्रांसिस ने सबसे पहले विवाह निरस्तीकरण को आसान बना दिया।
पर्यावरण
फ्रांसिस ग्लोबल वार्मिंग को मुख्यतः मानव-जनित समस्या बताकर प्रमुख शिक्षण दस्तावेज में वैज्ञानिक आंकड़ों का उपयोग करने वाले पहले पोप बन गए।
इस्लाम
फ्रांसिस ने सुन्नी और शिया धार्मिक नेताओं के साथ संबंध स्थापित करके तथा शांति, एकजुटता और संवाद के प्रति साझा प्रतिबद्धता पर बल देकर वेटिकन और इस्लाम के बीच तनावपूर्ण संबंधों को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की। वह अरब प्रायद्वीप और इराक, दोनों का दौरा करने वाले पहले पोप थे, जो अब्राहम का जन्मस्थान है, जो ईसाइयों, मुसलमानों और यहूदियों के लिए महत्वपूर्ण पैगंबर थे।
एलजीबीटीक्यू प्लस
फ्रांसिस ने 2013 में वेटिकन के कथित तौर पर एक समलैंगिक पदाधिकारी के बारे में पूछे जाने पर कहा था, “मैं कौन होता हूं , फैसला करने वाला?”
फ्रांसिस ने समलैंगिक लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि भगवान उन्हें वैसे ही प्यार करते हैं जैसे वे हैं, कि “समलैंगिक होना कोई अपराध नहीं है”, और चर्च में हर किसी का स्वागत है।
परमाणु हथियार
फ्रांसिस ने अपने पूर्ववर्तियों - और चर्च की शिक्षाओं - से भी आगे जाकर कहा कि न केवल परमाणु हथियारों का प्रयोग, बल्कि उन्हें रखना भी “अनैतिक” है।
महिलाएं
फ्रांसिस ने लगातार चर्च के संचालन में महिलाओं की अधिक भूमिका की मांग की और अपनी बात को साबित करने के लिए चर्च कानून में महत्वपूर्ण नियुक्तियां और बदलाव किए।
एपी प्रशांत