बंगाल : बेरोजगार हुए ‘बेदाग’ शिक्षक न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट
धीरज सुरेश
- 17 Apr 2025, 04:44 PM
- Updated: 04:44 PM
कोलकाता, 17 अप्रैल (भाषा) बड़े पैमाने पर भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता की वजह से उच्चतम न्यायालय द्वारा बर्खास्त किये गए पश्चिम बंगाल के सरकार-संचालित एवं इससे वित्त-पोषित विद्यालयों के शिक्षकों ने शीर्ष अदालत की ओर से उनकी सेवा को अस्थायी रूप से विस्तारित किये जाने को ‘अल्पकालिक राहत‘ करार देते हुए असंतुष्टि जताई।
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को 31 मई तक नयी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) और राज्य सरकार को तय समय सीमा तक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का विवरण देते हुए अनुपालन हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया।
अदालत के फैसले की वजह से 2016 में जारी विज्ञापन में एसएससी के जरिये भर्ती हुए और अब बेरोजगार हुए 26,000 शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों में शामिल पंकज रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय के प्रति पूरे सम्मान के साथ, आइए हम उस आदेश पर अपना असंतोष व्यक्त करें, जिसने हमें केवल 31 दिसंबर तक कक्षाओं में पढ़ाने की अनुमति दी है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘उसके बाद क्या होगा? उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार से नई अधिसूचना जारी करने को कहा है। हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि 2016 की भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हम पात्र उम्मीदवारों के रूप में नयी परीक्षा नहीं देंगे।’’
उत्तर बंगाल के एक माध्यमिक विद्यालय में राजनीति विज्ञान के शिक्षक रॉय ने पिछले सप्ताह आचार्य भवन में डब्ल्यूबीएसएससी कार्यालय के बाहर तीन दिन तक अनशन किया था। उन्होंने 2016 के विज्ञापन के आधार पर भर्ती कर्मियों में ‘दागी’ और ‘बेदाग’ अभ्यार्थियों के बीच अंतर करने वाली सूची प्रकाशित करने की मांग की थी।
रॉय ने डब्ल्यूबीएसएससी से न्यायालय को यह स्पष्ट करने का भी आग्रह किया कि पात्र शिक्षकों को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत के आदेश में शिक्षकेतर अभ्यर्थियों के मामले को भी शामिल नहीं किया गया है।’’
रॉय ने कहा, ‘‘हमारे विचार में यह चूक राज्य सरकार और एसएससी द्वारा प्रदर्शन कर रहे बर्खास्त कर्मचारियों के बीच विभाजन पैदा करने के प्रयास का परिणाम है।’’
‘योग्य शिक्षक मंच’ के धृतिश मंडल ने रॉय का समर्थन करते हुए सवाल किया, ‘‘हम दागी उम्मीदवार नहीं हैं। यह बात न्यायालय के आदेश में भी स्वीकार की गई है। फिर हमारी सेवाएं 31 दिसंबर तक ही क्यों बढ़ाई जानी चाहिए? सेवा नियमों के अनुसार, हमें सेवानिवृत्ति की उम्र (60 वर्ष) तक सेवा करनी चाहिए। यदि डब्ल्यूबीएसएससी को पता है कि कौन दागी है और कौन नहीं, तो वे न्यायालय के समक्ष स्पष्ट रूप से क्यों नहीं बता सकते?’’
मंडल ने रेखांकित किया कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से उत्तीर्ण हुए और मेहनत से काम करने वाले शिक्षक नई परीक्षा देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कड़ी मेहनत और वर्षों की सेवा के बाद यह अल्पकालिक विस्तार कोई मायने नहीं रखता। जब तक हमें सही मायनों में न्याय नहीं मिल जाता, हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।’’
मंच के 70 सदस्यों ने 16 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था, जबकि 100 से अधिक सदस्य तीन अप्रैल से कोलकाता के एस्प्लेनेड में अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं।
यह पूछने पर कि क्या शिक्षक शनिवार से कक्षाएं फिर से शुरू करेंगे, प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘‘हम जल्द ही निर्णय लेंगे। अगर हम स्कूल लौटते हैं, तो यह पूरी तरह से छात्रों के हित में होगा, जो परेशान हैं।’’
बांकुड़ा जिले के विष्णुपुर हाई स्कूल की प्रबंध समिति के एक सदस्य ने कहा कि आठ शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद यहां शैक्षणिक कार्य में समस्या आ रही है।
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रामानुज गांगुली से इस बारे प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया।
भाषा धीरज