अदालत ने एमयूडीए मामले में सीबीआई जांच को लेकर अर्जी पर सिद्धरमैया, उनकी पत्नी को नोटिस जारी किया
आशीष मनीषा
- 16 Apr 2025, 05:01 PM
- Updated: 05:01 PM
(फाइल फोटो के साथ)
बेंगलुरु, 16 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की एक अर्जी पर बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और अन्य को नोटिस जारी किया।
सिद्धरमैया पर मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी पार्वती बी एम को 14 भूखंडों के आवंटन में गड़बड़ी के आरोप हैं। अर्जी में एकल न्यायाधीश द्वारा सात फरवरी को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कथित घोटाले में लोकायुक्त पुलिस की जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की पीठ ने 28 अप्रैल तक जवाब के लिए नोटिस जारी किया है। पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादियों को 28 अप्रैल तक जवाब के लिए नोटिस जारी किया जाता है। चूंकि यह कहा गया है कि संबंधित मामले से जुड़ी अपील उस दिन सूचीबद्ध की गई हैं।’’
मूल याचिका इस वर्ष के प्रारंभ में खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश ने कहा था कि लोकायुक्त की जांच में कोई पक्षपात या विसंगति प्रदर्शित नहीं हुई।
अदालत ने कहा था, ‘‘लोकायुक्त की स्वतंत्रता संदिग्ध नहीं है।’’ अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि संस्था की स्वायत्तता बरकरार है, जिसे उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों ने मान्यता दी है।
अदालत ने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्य से मामले को आगे ले जाने या फिर से जांच के लिए सीबीआई के पास भेजने का आधार नहीं है।
बुधवार की सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील के बारे में एक प्रक्रियात्मक प्रश्न उठाया। पीठ ने पूछा, ‘‘यह तय करने के लिए क्या मानदंड हैं कि अपील स्वीकार्य है या नहीं?’’
अपीलकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के जी राघवन ने स्पष्ट किया कि अर्जी में न्यायिक आदेश को चुनौती नहीं दी गई है। अदालत ने संकेत दिया कि मामले के गुण-दोष पर आगे बढ़ने से पहले वह अपील के सुनवाई योग्य होने के मुद्दे पर गौर करेगा।
राघवन ने पीठ को यह भी बताया कि संबंधित अर्जियों पर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है जिसमें प्रतिवादियों पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी को बरकरार रखने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह अदालत अभियोजन के लिए राज्यपाल की मंजूरी को बरकरार रखने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को स्वीकार कर लेती है तो मामले को सीबीआई को सौंपने का सवाल ही नहीं उठता।’’
एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धरमैया की पत्नी को मैसूरु के ‘पॉश’ माने जाने वाले इलाके (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) में 14 भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका संपत्ति मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे एमयूडीए द्वारा ‘‘अधिग्रहित’’ किया गया था।
भाषा आशीष