चीन पर अमेरिकी शुल्क भारतीय उपकरण उद्योग के लिए एक अवसर: नीति रिपोर्ट
रमण अजय
- 15 Apr 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन पर अमेरिकी शुल्क और बढ़ती लागत भारत के लिए वैश्विक उपकरण निर्यात बाजार में अपनी भूमिका को बढ़ाने का एक बड़ा अवसर है।
रिपोर्ट में साथ ही स्थानीय उपकरण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर के संकुल बनाने और लागत को कम करने के लिए जरूरी सहायता प्रदान करने जैसे उपाय सुझाए गए हैं।
नीति आयोग ने ‘भारत के हाथ और बिजली से चलने वाले उपकरण क्षेत्र: 25 अरब डॉलर से अधिक निर्यात अवसर’ शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में कहा कि इस उद्योग में निर्यात की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे, उच्च विनिर्माण लागत और बड़े स्तर की विनिर्माण सुविधाओं की कमी से बाधा उत्पन्न होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जिसके पास अपने हाथ और बिजली उपकरण उद्योग को वैश्विक निर्यात महाशक्ति में बदलने का एक उल्लेखनीय अवसर है। इस क्षेत्र में 2035 तक 25 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात की क्षमता है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इस क्षमता का उपयोग करने के लिए, तीन प्रमुख कदम आवश्यक हैं। पहला, विश्वस्तरीय संकुल बनाना, दूसरा, संरचनात्मक सुधारों को लागू करना तथा तीसरा लागत अक्षमता को दूर करने के लिए समर्थन प्रदान करना है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में उपकरणों का वैश्विक व्यापार 100 अरब डॉलर का था, जिसके 2035 तक 190 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं भारत की इसमें हिस्सेदारी नाममात्र की है। इसमें हाथ से चलाये जाने वाले उपकरणों का 60 करोड़ डॉलर और बिजली के उपकरणों में 42.5 करोड़ डॉलर का निर्यात शामिल है।
चीन का इस क्षेत्र में दबदबा है और उसकी बाजार हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत है। चीन के सामान पर अमेरिका के शुल्क लगाये जाने और बढ़ती लागत जैसे हाल में हुए बदलाव, भारत को अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं।
रिपोर्ट कहती है कि 2035 तक हाथ से चलाये जाने वाले उपकरणों के लिए कुल मिलाकर लगभग 4,000 एकड़ में फैले चार संकुल स्थापित किए जाने चाहिए, जो उत्पादन दक्षता बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने के लिए आवश्यक परिवेश प्रदान करें।
इसमें भारत में श्रम लागत को कम करने के लिए वर्तमान श्रम कानूनों में बदलाव की भी वकालत की गयी है। इसमें प्रति तिमाही 300 ‘ओवरटाइम’ घंटे की अनुमति देना, स्वीकृत कार्य घंटों को बढ़ाकर प्रतिदिन 10 घंटे और प्रति सप्ताह 60 घंटे करना तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ‘ओवरटाइम’ पारिश्रमिक को वर्तमान के दोगुना के स्थान पर 1.25 से 1.5 गुना तक सीमित करना शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 अरब डॉलर से ज्यादा के निर्यात के इस अवसर का लाभ उठाना सिर्फ़ निर्यात के आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य लगभग 35 लाख नौकरियां सृजित करना, नवोन्मेष को बढ़ावा देना, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) को सशक्त बनाना, भारत के औद्योगिक परिवेश को मजबूत करना और एक विश्वसनीय, उच्च गुणवत्ता वाले वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में देश की स्थिति को मजबूत करना है।
भाषा रमण