‘सुरंग पर्यटन’ के लिए कासरगोड खिंचे चले आ रहे पर्यटक, दशकों पहले पहाड़ों में खोदी गईं थीं सुरंगें
शफीक शोभना
- 13 Apr 2025, 12:29 PM
- Updated: 12:29 PM
(शफीक अहमद)
कासरगोड (केरल), 13 अप्रैल (भाषा) केरल के कासरगोड में दशकों पहले जलापूर्ति के लिए खोदी गईं सुरंगें अब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं और पहाड़ों में काटी गई इन सुरंगों के अंदर जाकर पर्यटक रोमांच अनुभव कर रहे हैं।
इस जिले के गांवों में पहाड़ों में छोटी-बड़ी सैकड़ों सुरंगें हैं, जहां से आने वाला पानी ही स्थानीय ग्रामीणों के लिए जलापूर्ति का स्त्रोत है और इसका उपयोग वह पीने के अलावा सिंचाई व अन्य कार्यों में करते हैं।
केरल पर्यटन विभाग के ‘रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म’ की कासरगोड शाखा से जुड़ीं धन्या टी. ने बताया कि यह जिला ऐतिहासिक बेकल किले और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और अब पिछले कुछ वर्षों में ‘सुरंग पर्यटन’ भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान विशेष तौर पर लोग कासरगोड की सुरंगों को देखने आते हैं क्योंकि इस दौरान सुरंगों से अच्छी मात्रा में पानी पहाड़ों से निकलकर आ रहा होता है।
धन्या ने बताया कि पहाड़ों से आना वाला पानी इतना शुद्ध होता है कि पर्यटक इसे पी भी लेते हैं और बोतलों में भी भरकर ले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पानी का प्रयोगशाला में परीक्षण करने पर इसे ‘‘बिल्कुल शुद्ध’’ पाया गया है।
आमतौर पर ये सुरंगें 50-100 मीटर लंबी होती हैं, लेकिन 59 वर्षीय पी. जयकृष्णन नायर के स्वामित्व वाली सुरंग करीब एक किलोमीटर लंबी है, जो इसे बेहद खास बनाता है।
स्थानीय किसान जयकृष्णन ने बताया कि उनके दादा केलू नायर ने वर्ष 1935 के आसपास अपने पांच रिश्तेदारों के साथ मिलकर पहाड़ों में खुदाई कर पानी प्राप्त करने और इसका संग्रहण करने के लिए सुरंग खोदनी शुरू की थी।
उन्होंने बताया कि तब सुरंग इतनी लंबी नहीं थी लेकिन बाद में उनके पिता मुल्लाचेरी नारायणन नायर ने इसकी और खुदाई कराई और अब इसकी लंबाई करीब एक किलोमीटर है।
वर्ष 2016 में पर्यटकों के लिए ‘सुरंग पर्यटन’ की शुरुआत करने वाले जयकृष्णन ने बताया कि इसके पीछे उनका मकसद यह है कि लोग जलापूर्ति की इस संरचना को देखकर रोमांच महसूस करने के साथ ही जल और इस प्रणाली का महत्व भी समझें।
उन्होंने कहा कि यहां आने वाले पर्यटक सुरंग के इतिहास से जुड़े सवाल करते हैं, जिस पर उन्हें स्थानीय लोग अपनी जरूरत के हिसाब से पानी प्राप्त करने एवं इसे एकत्र करने के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी देते हैं।
जयकृष्णन ने बताया कि पर्यटकों को सुरंग के अंदर ले जाने से पहले सुरक्षा संबंधी निर्देश दिए जाते हैं और उनकी आसानी के लिए एलईडी लाइट की व्यवस्था भी की गई है।
केरल पर्यटन विभाग से जुड़े ‘स्टोरी टेलर’ (किस्सागो) रजीश राघवन ने बताया कि बेकल रिसॉर्ट विकास निगम (बीआरडीसी) पर्यावरण अनुकूल पर्यटन को प्रात्साहित कर रहा है।
उन्होंने बताया कि इसके प्रयासों से कासरगोड और कन्नूर जिलों में 50 से अधिक ‘होम स्टे’ विकसित हुए हैं।
रजीश ने बताया कि ‘सुरंग पर्यटन’ की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए बीआरडीसी ने कासरगोड में 2018 में राष्ट्रीय स्तर का एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें पर्यटन उद्योग से जुड़े 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
भाषा शफीक