अदालत ने बदलापुर यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई
धीरज माधव
- 09 Apr 2025, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
मुंबई, नौ अप्रैल (भाषा)बंबई उच्च न्यायालय ने चर्चित बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न की घटना के बाद विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गठित समिति द्वारा दिए गए सुझावों के कार्यान्वयन में देरी के लिए बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई।
अदालत ने इस मुद्दे से निपटने और ऐसी घटनाओं को रोकने में सरकार की गंभीरता पर भी सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने सरकार से इस मामले के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित करने का आह्वान किया और कहा कि यदि सरकार वास्तव में चिंतित होती तो ‘दिन-रात’ काम करती।
ठाणे जिले के बदलापुर में अगस्त 2024 में एक स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था, जिसके बाद व्यापक विरोध और आक्रोश फैल गया था। आरोपी अक्षय शिंदे को बाद में पुलिस वाहन में ले जाते समय कथित तौर पर हमला करने पर जवाबी पुलिस गोलीबारी में मार गिराया गया था।
उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक याचिका शुरू की और विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त दो न्यायाधीशों और अन्य विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक समिति गठित करने का निर्देश दिया।
समिति ने फरवरी 2025 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय ने सरकार को इन सिफारिशों पर विचार करने और पूरे महाराष्ट्र के विद्यालयों के लिए आवश्यक सरकारी आदेश(जीआर) जारी करने का निर्देश दिया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने बुधवार को उच्च न्यायालय से और समय देने का अनुरोध करते हुए कहा कि निर्णय लेने से पहले सिफारिशों की कई विभागों द्वारा समीक्षा की जानी आवश्यक है।
इस जवाब से अप्रसन्न पीठ ने समेकित जीआर तत्काल जारी करने की मांग की।
पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इसमें कितना समय लगेगा? आप (सरकार) अपनी संवेदनशीलता किस उद्देश्य से प्रदर्शित करेंगे, यदि इसके लिए नहीं? यह ऐसा कुछ है जो सभी विद्यालयों को प्रभावित करेगा। यदि आपको यौन शोषण की चिंता है, तो आप इसके लिए दिन-रात काम करेंगे।’’
उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ‘‘आत्मसंतुष्ट’’ नहीं रह सकती।
पीठ ने पूछा, ‘‘इसका उद्देश्य ऐसी घटनाओं को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटनाएं फिर कभी न हों। क्या सरकार गंभीर है?’’જમીન अदालत ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की।
समिति की सिफारिशों में महाराष्ट्र भर के विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाना और कर्मचारियों का चरित्र सत्यापन करना शामिल है। समिति ने विद्यालयों को सुरक्षित परिवहन की जिम्मेदारी लेने और बच्चों को ‘अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श’ के बीच का अंतर सिखाने की सलाह दी है।
रिपोर्ट में साइबर अपराधों के बारे में बच्चों में जागरूकता बढ़ाने और टोल-फ्री नंबर ‘1098’ को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का भी सुझाव दिया गया। यदि किसी कर्मचारी की आपराधिक पृष्ठभूमि पाई गई तो उसे तत्काल नौकरी से निकालने की सलाह दी गई।
भाषा धीरज