ईडी ने धन शोधन से जुड़े मामलों में आरोप तय करने पर सुनवाई टालने की कार्ति की अर्जी का विरोध किया
पारुल सुरेश
- 09 Apr 2025, 07:50 PM
- Updated: 07:50 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उन याचिकाओं का विरोध किया, जिनमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज दो मामलों में आरोप तय करने पर सुनवाई टालने का अनुरोध किया है।
कार्ति के वकील ने दलील दी कि जब तक अधिसूचित अपराधों यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज कथित चीनी वीजा और एयरसेल मैक्सिस मामलों में आरोप तय नहीं हो जाते, तब तक धन शोधन के संबंधित मामलों में निचली अदालत में बहस शुरू नहीं होनी चाहिए।
हालांकि, ईडी की ओर से पेश वकील ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध एक स्वतंत्र मामला है और ऐसे मामलों में सुनवाई पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक कि आरोपी को संबंधित अपराध में “अंतिम रूप से दोषमुक्त” न कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने विस्तार से दलीलें सुनीं और कहा कि वह इस मामले में आदेश पारित करेंगे।
कार्ति ने सुनवाई अदालत के 28 मार्च के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उनके खिलाफ आरोप तय करने पर जिरह टालने के अनुरोध वाली उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
कांग्रेस सांसद के वकील ने स्पष्ट किया कि वह धन शोधन से जुड़े मामलों में सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं और उनका आग्रह “केवल आरोप तय करने के संबंध में है।”
कार्ति के वकील ने कहा, “इस मामले पर 15 अप्रैल को बहस होनी है। उनके लिए बहस करना मजाक के समान होगा, खासकर तब जब अधिसूचित अपराधों में कुछ नहीं हो रहा है।”
ईडी के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता “असल में” सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध कर रहा है और वह निचली अदालत में आरोप तय किए जाने के खिलाफ बहस करने के लिए स्वतंत्र है।
ईडी ने 2011 में पी चिदंबरम के केंद्रीय गृह मंत्री रहने के दौरान 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने में हुए कथित घोटाले के सिलसिले में कार्ति और अन्य के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया है।
जांच एजेंसी ने मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।
दूसरा मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी देने में हुई कथित अनियमितताओं से संबंधित है। यह मंजूरी 2006 में दी गई थी, जब पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।
भाषा पारुल