रेपो दर घटाने का निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए रणनीतिक कदम: विशेषज्ञ
रमण
- 09 Apr 2025, 05:58 PM
- Updated: 05:58 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) विशेषज्ञों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लगातार दूसरी बार रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाने और ‘उदार’ रुख अपनाने के निर्णय को वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने का रणनीतिक कदम बताया है।
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) त्रिभुवन अधिकारी ने कहा, “वैश्विक व्यापार तनाव और शुल्क अनिश्चितताओं के बीच आरबीआई द्वारा लगातार दूसरी बार नीतिगत दर में कटौती का फैसला अर्थव्यवस्था के लिए एक स्वागत योग्य कदम है।”
उन्होंने कहा, “सतर्क राजकोषीय प्रबंधन ने भारत को वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने में मदद की है। आज की 0.25 प्रतिशत की कटौती उम्मीद के अनुरूप है। यह कदम उपभोक्ता धारणाओं को मजबूत करेगा और विशेष रूप से मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में आवास की मांग को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, किफायती आवास क्षेत्र को और बढ़ावा देगा और ‘सभी के लिए आवास’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।”
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “हाल में मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए, रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती अपेक्षित थी। बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति और जीडीपी वृद्धि, दोनों के लिए एमपीसी के चालू वित्त वर्ष (2025-26) के पूर्वानुमानों में 0.20 प्रतिशत की कमी और रुख को ‘उदार’ करने के साथ हम अगली तीन नीति समीक्षाओं में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।”
आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा कि आरबीआई ने नीतिगत रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ कर आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने का साफ संकेत दिया है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर भारत की वृद्धि और मुद्रास्फीति पर प्रभाव का आकलन करना अभी मुश्किल है, लेकिन केंद्रीय बैंक ने उन्हें स्पष्ट रूप से जोखिम के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि, उपभोग और निवेश मांग दोनों में सुधार के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं और वित्तीय स्थितियां लगातार अनुकूल हो रही हैं।
हाजरा ने कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए हमारा अनुमान है कि आरबीआई इस साल नीतिगत दर में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की और कटौती कर सकता है।
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य निवेश अधिकारी अश्विनी धनावत ने कहा, “रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत करने तथा ‘उदार’ रुख अपनाने का निर्णय, बढ़ते वैश्विक शुल्क युद्ध के बीच आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए एक रणनीतिक कदम है...।’’
उन्होंने कहा, “चालू वित्त वर्ष (2025-26) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 6.5 प्रतिशत और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगा गया है। आरबीआई को उम्मीद है कि जिंसों की कीमतों में नरमी से संभावित रूप से एक संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, लगातार बाहरी दबाव इन अनुमानों को चुनौती दे सकते हैं, जिससे मुद्रास्फीति के जोखिमों को कम करने के लिए सतर्क निगरानी की आवश्यकता होगी...।’’
पैसा बाजार के सीईओ संतोष अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में कटौती उम्मीद के अनुरूप है। मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से उदार करने का निर्णय, मौजूदा और संभावित उधारकर्ताओं, दोनों के लिए अधिक अनुकूल मौद्रिक नीति रुख की शुरुआत का संकेत है।”
भाषा अनुराग रमण
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