विधेयक विवाद: केरल सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ याचिका को अन्य पीठ के पास भेजने का आग्रह किया
सुभाष माधव
- 08 Apr 2025, 09:28 PM
- Updated: 09:28 PM
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) केरल सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर राज्यपाल के खिलाफ उसकी याचिका को न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ के पास भेजा जाए।
न्यायमूर्ति पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसी तरह की एक याचिका में द्रमुक नीत तमिलनाडु सरकार को बड़ी राहत प्रदान की है और उन 10 विधेयकों को मंजूरी देने का रास्ता साफ कर दिया, जिन्हें प्रदेश के राज्यपाल आर एन रवि ने राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने सभी राज्यपालों के लिए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए एक से तीन महीने की समयसीमा भी निर्धारित की।
केरल सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल के माध्यम से प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ को बताया कि उसकी याचिका, स्वरूप में एक समान होने के कारण, न्यायमूर्ति पारदीवाला की पीठ को भेजी जानी चाहिए।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘लगभग दो साल हो गए हैं। विधेयक लंबित हैं। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने इसी तरह के मुद्दों पर सुनवाई की है और इसे उसी पीठ को सौंपा जा सकता है।’’
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि मुद्दे अलग-अलग हैं तथा इसके अलावा, इस तरह का कोई भी फैसला लेने से पहले न्यायमूर्ति पारदीवाला के फैसले को पढ़ा जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह का कोई भी फैसला अगली सुनवाई पर दिया जाएगा और याचिका को 13 मई के सप्ताह में सूचीबद्ध कर दिया।
वर्ष 2023 में, शीर्ष अदालत ने केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को दो साल तक रोक कर रखे जाने पर नाराजगी जताई थी।
खान, वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं।
पिछले साल 26 जुलाई को शीर्ष अदालत ने केरल सरकार की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं दी गई।
केरल सरकार ने आरोप लगाया कि खान ने कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा था और उन्हें अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
याचिकाओं पर गौर करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और केरल के राज्यपाल के सचिवों को नोटिस जारी किया।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।’’
राज्य सरकार ने कहा कि उसकी याचिका राज्यपाल द्वारा सात विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे जाने से संबंधित है, जिन्हें उन्हें (राज्यपाल को) स्वयं मंजूरी देनी थी।
भाषा सुभाष