केरल सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं की मांगें खारिज कीं
आशीष नेत्रपाल
- 08 Apr 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
तिरुवनंतपुरम, आठ अप्रैल (भाषा) केरल के श्रम मंत्री वी शिवनकुट्टी ने मंगलवार को आशा कार्यकर्ताओं द्वारा उठाई गईं मांगों को खारिज कर दिया, जो पिछले 58 दिन से यहां सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके आंदोलन का हल निकालने के लिए अधिकतम संभव रियायतें दी हैं।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने प्रदर्शनकारियों के साथ पांच दौर की वार्ता की है।
शिवनकुट्टी ने कहा कि यह बड़ी बात है कि एक मंत्री ने आंदोलन के समाधान के लिए ऐसे प्रयास किए हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आंदोलनकारियों के साथ आगे कोई भी बातचीत इस मामले पर आम सहमति बनने के बाद ही होगी।’’
शिवनकुट्टी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के मुद्दे पर अधिकतम संभव रियायतें दी हैं। हमने महत्वपूर्ण रियायतें देने के बाद आम सहमति बनाने के उद्देश्य से सुझाव दिए हैं।’’
उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार इस मामले में और रियायत देने को तैयार नहीं होती।
श्रम मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब एक दिन पहले आशा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बातचीत किसी सहमति पर नहीं पहुंच सकी थी, क्योंकि आंदोलनकारी मानदेय वृद्धि की अपनी लंबित मांग पर अड़े हुए हैं।
बैठक के बाद आशा नेताओं ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्री ने हड़ताल समाप्त करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, लेकिन जब तक सरकार मानदेय वृद्धि की उनकी मांग स्वीकार नहीं कर लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
वीना जॉर्ज और आशा कार्यकर्ताओं के बीच तीन अप्रैल को हुई तीसरे दौर की वार्ता भी किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रही, क्योंकि कार्यकर्ताओं ने उनकी मांगों पर गौर करने और सिफारिशें देने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
मंत्री और प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच पहले भी दो दौर की बातचीत बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई थी। राज्य स्वास्थ्य मिशन ने भी पूर्व में कार्यकर्ताओं के साथ दो बैठकें की थीं।
केरल आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ (केएएचडब्ल्यूए) की सदस्य सेवानिवृत्ति लाभ और उच्च मानदेय की मांग को लेकर लगातार 58 दिन से सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। आंदोलनकारियों ने अब अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के साथ अपना विरोध तेज कर दिया है।
भाषा आशीष