वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ याचिकाएं केवल 'वोट बैंक हित याचिका' है : भाजपा
रंजन प्रशांत
- 07 Apr 2025, 07:51 PM
- Updated: 07:51 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली विभिन्न जनहित याचिकाओं की आलोचना करते हुए उन्हें ‘वोट बैंक हित याचिका’ करार दिया।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने दावा किया कि कई संगठनों की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी जनहित याचिकाएं ‘‘केवल वोट बैंक को भड़काने और देश में दंगे जैसी स्थिति पैदा करने का एक बहाना है।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि नए कानून से केवल भू-माफिया को ही नुकसान पहुंचेगा, जिन्होंने वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है। पूनावाला ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यह जनहित याचिका कम और वोट बैंक के हित में किया गया मुकदमा अधिक है।’’
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, एआईएमआईएम और कुछ मुस्लिम संगठनों सहित इस कानून को कानूनी चुनौती देने वाले संगठनो ने यह आरोप भी लगाया था कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम से मुसलमानों की नागरिकता छिन जायेगी।
उन्होंने कहा कि नया कानून सामाजिक न्याय और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में संविधान के अनुप्रयोग को सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम संस्थाओं और यहां तक कि ईसाई संगठनों ने भी वक्फ अधिनियम में संशोधन का स्वागत किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह ‘हिंदू-मुस्लिम’ मुद्दा नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने संसद का इस्तेमाल करके शीर्ष अदालत के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें 1985 में शाहबानो मामले में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने का प्रावधान था।
उन्होंने कहा कि अब जब संसद ने पिछड़े वर्ग और मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून पारित किया है, तो कांग्रेस फिर से इसका विरोध कर रही है।
इससे पहले दिन में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद तथा आप विधायक अमानतुल्लाह खान सहित अन्य की याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।
भाषा रंजन