इतिहास दर्ज करेगा प्रधानमंत्री मोदी ने वक्फ विधेयक का समर्थन या विरोध नहीं किया: ओ ब्रायन
सुभाष नरेश
- 07 Apr 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने सोमवार को कहा कि इतिहास में यह दर्ज हो जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वक्फ (संशोधन) विधेयक पर लोकसभा में मतदान के समय विदेश में थे और उन्होंने संसद में विधेयक का न तो समर्थन किया, न ही विरोध किया।
वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 पिछले सप्ताह बुधवार देर रात लोकसभा में पारित हुआ था और चार अप्रैल को तड़के राज्यसभा ने भी इसे पारित कर दिया। दोनों सदनों में इस पर लंबी चर्चा हुई थी।
प्रधानमंत्री मोदी छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर पिछले हफ्ते बृहस्पतिवार को थाईलैंड गए थे।
'सेशन रिकैप: डोंट लेट द आल नाइटर्स डिसीव यू’ शीर्षक वाले ब्लॉग में ओ ब्रायन ने कहा कि हाल ही में संपन्न सत्र में संसद की रात भर की बैठकें देखने से ऐसा लग सकता है कि यह संस्था अपने 'शीर्ष फॉर्म' में है, लेकिन असल में यह एक 'गहरे अंधेरे कक्ष' में तब्दील हो गई है।
राज्यसभा में, तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह इस सत्र में सरकार की ओर से ‘‘मुख्य वक्ता’’ थे।
ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने मंत्रालय के तीन विधेयकों को आगे बढ़ाया और वक्फ पर भी 45 मिनट तक बोले, हालांकि इस विधेयक को उन्होंने नहीं पेश किया था। अमित शाह भाजपा के बल्लेबाज, गेंदबाज और क्षेत्ररक्षक हैं थोड़ा बदलाव के लिए ही सही, उन्हें कई बार कैफेटेरिया में विभिन्न दलों के सांसदों से बातचीत करते हुए भी देखा गया।’’
उन्होंने किसी नेता का नाम लिए बिना कहा, ‘‘दिलचस्प है। जैसा कि मेरे एक सहकर्मी ने कहा कि क्या यह (लोकसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या) 240 का असर है? या फिर यह 52 वर्षीय अविवाहित व्यक्ति का एक बहुत बड़े राज्य की कप्तानी करना है?’’
ओ ब्रायन ने हाल ही में संपन्न हुए सत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हाल ही में संपन्न हुए बजट सत्र के दौरान दो दिनों तक सांसद पूर्वाह्न 11 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक संसद में थे। लगातार 17 घंटे। निश्चित रूप से संसदीय लोकतंत्र पूरी तरह से ऊर्जावान और अपने शीर्ष फॉर्म में है। है न? ’’
उन्होंने कहा, ‘‘रात भर चलने वाले सत्रों से धोखा न खाएं... संसद को एक गहरे, अंधेरे कक्ष में बदला जा रहा है।’’
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सवाल किया कि सरकार ने मणिपुर पर चर्चा के लिए सत्र के अंत तक इंतजार क्यों किया, जबकि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा के लिए वैधानिक प्रस्ताव 13 फरवरी 2025 को अधिसूचित किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार लगभग तीन सप्ताह तक इस विषय से क्यों बचती रही? इससे भी बदतर यह है कि रात के अंधेरे में क्यों (चर्चा कराई गई)? लोकसभा में सिर्फ 44 मिनट!’’
तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘राज्यसभा में जो कुछ हुआ वह और भी अधिक परेशान करने वाला था। चर्चा के लिए तीन घंटे आवंटित किए गए थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें आवंटित 75 मिनट में से केवल दो मिनट का ही उपयोग किया। असल में, जब भाजपा के शुरुआती वक्ता द्वारा अपना भाषण शुरू किए केवल दो मिनट ही हुए थे, तो उनकी पार्टी के सदन के नेताओं ने उन्हें चुप करा दिया।’’
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कुछ सांसदों को स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों का सामना न करना पड़ता तो राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विपक्ष के वोटों की संख्या और अधिक हो सकती थी।
उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के शिबू सोरेन और महुआ माजी को चिकित्सकों ने यात्रा न करने की सलाह दी थी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के शरद पवार और तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी भी इसी कारण से सदन में अनुपस्थित रहे।
ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘हम उनके शीघ्र और पूरी तरह से स्वस्थ होने की कामना करते हैं। साथ ही, विपक्ष का एक वोट तकनीकी कारणों से अवैध घोषित कर दिया गया।’’
तृणमूल नेता ने यह भी कहा कि पिछली बार किसी विपक्षी दल के सांसद का नोटिस राज्यसभा में 16 महीने पहले, दिसंबर 2023 में स्वीकार किया गया था, जब उन्होंने 'देश में आर्थिक स्थिति' पर चर्चा कराने का प्रस्ताव किया था। वहीं, उच्च सदन में पिछली बार ध्यानाकर्षण प्रस्ताव जुलाई 2024 में केरल में बाढ़ पर स्वीकार किया गया था।
उन्होंने कहा कि अभी तक लोकसभा में उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार, 'यथाशीघ्र' उपाध्यक्ष का चुनाव कराया जाना अनिवार्य है। फिर भी, यह संवैधानिक पद रिक्त है।’’
भाषा
सुभाष