आशा है कांग्रेस पिछली गलतियों को सुधारने की इच्छा दिखाएगी: अश्विनी कुमार
नेत्रपाल नरेश
- 06 Apr 2025, 07:32 PM
- Updated: 07:32 PM
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) कांग्रेस के पूर्व नेता अश्विनी कुमार ने रविवार को कहा कि पार्टी को इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि उसकी अपील क्यों कम हो रही है और साथ ही उसे अपनी पिछली गलतियों को सुधारने की इच्छा दिखानी चाहिए।
अहमदाबाद में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन से पहले पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को अपने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को सम्मान देना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनावों में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस को खत्म नहीं माना जा सकता। उन्होंने पार्टी को ऐसे गठबंधन बनाने के प्रति आगाह किया जो वैचारिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं।
कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने वर्षों तक देश को उत्कृष्ट नेतृत्व दिया है और भारत के समावेशी एवं धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के विचार को संरक्षित किया है।
उन्होंने कहा कि हालांकि, कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को वर्तमान सरकार के लिए एक वास्तविक चुनौती के रूप में अपनी विश्वसनीयता स्थापित करके एक बार फिर अपनी क्षमता साबित करनी होगी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि आप किसी राजनीतिक दल या किसी भी राजनीतिक नेता के खत्म होने की बात नहीं कह सकते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को यह पता लगाना है कि क्यों उसकी अपील कम हो रही है और उसका संदेश लोगों तक क्यों नहीं पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अहमदाबाद में होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन से राष्ट्र के लिए एक ताज़ा संदेश आएगा जिसमें अपनी पिछली गलतियों को सुधारने और अपने कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को सम्मान देने की इच्छा व्यक्त की जाएगी।’’
कुमार ने फरवरी 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी।
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि कांग्रेस की विचारधारा देश के लिए अच्छी है क्योंकि यह ‘‘समावेशी’’ तथा ‘‘न्याय एवं सम्मान के पक्ष में’’ है।
कुमार ने कहा, ‘‘लेकिन कांग्रेस पार्टी को भारत के लोगों की आकांक्षाओं को और अधिक सशक्त ढंग से व्यक्त करना होगा। पार्टी जो कहती है और जो करती है, उसमें स्पष्ट राजनीतिक एवं बौद्धिक ईमानदारी दिखनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि विपक्ष के दृष्टिकोण से वर्तमान सरकार से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता आवश्यक है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन क्या कांग्रेस ऐसे गठबंधन कर सकती है जो वैचारिक और स्वाभाविक रूप से अस्थिर हो? ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए कांग्रेस को यह विचार करना होगा कि आने वाले दिनों में उसे अकेले चलना है या अपने सिद्धांतों से समझौता करना है।’’
कुमार ने कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना होगा कि देश की राजनीतिक चेतना बदल गई है और सार्वजनिक जीवन में व्यक्तिगत वैमनस्य के लिए कोई जगह नहीं है।’’
उन्होंने अपने रास्ते पर बने रहने और लोकतंत्र एवं न्याय के पक्ष में खड़े रहने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सराहना की।
कुमार ने कहा, ‘‘लेकिन, यह विश्लेषण करना उनका काम है कि पार्टी का संदेश लोगों तक क्यों नहीं पहुंच रहा है।’’
उन्होंने कहा कि गांधी उपहास के बावजूद अपने रास्ते पर अडिग रहे हैं और उन्होंने अपनी वैचारिक लड़ाई जारी रखी है।
कुमार ने कहा, ‘‘लेकिन, मैं मानता हूं कि उन्होंने अपने तरीके से, अपनी क्षमता के अनुसार, भारत के विचार को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है, जो कांग्रेस का भी विचार था। और यदि कांग्रेस अपनी जमीन पर कायम रहती है तथा पूरे देश में योग्यता और ईमानदारी वाले नेताओं को बढ़ावा देती है, तो वह निश्चित रूप से वापसी कर सकती है।’’
कुमार ने कहा कि हालांकि वह स्वयं को कांग्रेस पार्टी को सलाह देने के लिए सक्षम नहीं मानते, लेकिन वह इस देश के नागरिक और ऐसे व्यक्ति के रूप में बोल सकते हैं जिसका कांग्रेस के साथ बहुत पुराना संबंध रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल इतना कह सकता हूं कि कांग्रेस को यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वह अतीत की अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है, वह सभी स्तरों पर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान के साथ नियुक्त करने के लिए तैयार है और वह मौलिक सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजनीति में दोबारा प्रवेश करना चाहते हैं, कुमार ने कहा कि भले ही वह किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं हुए हों, लेकिन उन्होंने राजनीति छोड़ी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मौजूदा मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करके सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय रहना जारी रखूंगा। मेरा मानना है कि मैं अब भी झूठ को उजागर करने के लिए वचनबद्ध हूं, चाहे वह कहीं भी हो। मेरे सभी विकल्प खुले हैं। अगर कभी मुझे किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने की जरूरत महसूस हुई तो मैं फैसला लूंगा।’’
भाषा नेत्रपाल