आजादी के बाद कांग्रेस के खत्म होने का सवाल ही नहीं, बहस बेमानी है: बोस ने 1938 में कहा था
शफीक नरेश
- 06 Apr 2025, 07:45 PM
- Updated: 07:45 PM
(आसिम कमाल)
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) कांग्रेस का गुजरात के साथ ऐतिहासिक संबंध रहा है क्योंकि इसके दिग्गज नेता महात्मा गांधी और वल्लभभाई पटेल यहीं से ताल्लुक रखते थे। पार्टी इससे पूर्व राज्य में अपने पांच अधिवेशन आयोजित कर चुकी है जिनमें से प्रत्येक ने देश के इतिहास को आकार देने में योगदान दिया है।
अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को होने वाला अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का अधिवेशन राज्य में पार्टी का छठा और स्वतंत्रता के बाद दूसरा अधिवेशन होगा। वर्ष 1885 में कांग्रेस के गठन के बाद से यह अहमदाबाद में कांग्रेस का तीसरा अधिवेशन होगा।
कांग्रेस महासचिव और गुजरात मामलों के प्रभारी मुकुल वासनिक ने रविवार को एक वीडियो बयान में कहा कि इस अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य शीर्ष नेता शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि इस अधिवेशन में देश के सामने मौजूद सभी प्रमुख मुद्दों और राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।
अधिवेशन से पहले, कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने गुजरात में आयोजित पिछले सत्रों के आधिकारिक रिकॉर्ड ‘एक्स’ पर जारी किए हैं।
साझा किए गए रिकॉर्ड के जरिये कांग्रेस के अधिवेशनों में दिए गए ऐतिहासिक अध्यक्षीय भाषणों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 1902 में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी द्वारा निरंकुश सत्ता में स्थायित्व के तत्वों की कमी की बात से लेकर 1938 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा इस तर्क को ‘‘पूरी तरह गलत’’ बताकर खारिज करना शामिल है कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस समाप्त हो जानी चाहिए।
गुजरात में कांग्रेस की पहली बैठक अहमदाबाद में 23-26 दिसंबर, 1902 को बनर्जी की अध्यक्षता में हुई थी।
बनर्जी ने तब अपने लंबे अध्यक्षीय भाषण में अनेक मुद्दों पर चर्चा की थी। बनर्जी ने कहा था, ‘‘सारा इतिहास इस सत्य की घोषणा करता है कि निरंकुश सत्ता स्थायित्व के तत्वों से रहित होती है और सत्ता को स्थायी बनाने के लिए उसे जनता के मन में गहराई से समाहित होना चाहिए।’’
कांग्रेस नेता ने कहा था, ‘‘अब सभी संकेत इस निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं कि पुनर्निर्माण का दौर आ गया है।’’
इस सत्र में कुल 471 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
गुजरात में कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन 26-27 दिसंबर, 1907 को सूरत में रासबिहारी घोष की अध्यक्षता में हुआ था। यह अधिवेशन ऐतिहासिक था क्योंकि इसमें पार्टी में पहली बार विभाजन देखने को मिला था तथा यह उदारवादी और उग्र विचारों वाले गुटों के बीच आंतरिक तनाव का भी गवाह बना था।
सूरत अधिवेशन में करीब 1,600 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
गुजरात में कांग्रेस का तीसरा अधिवेशन 27-28 दिसंबर, 1921 को अहमदाबाद में हकीम अजमल खान की अध्यक्षता में आयोजित हुआ था। इस सत्र में कुल 4,728 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
खान अध्यक्ष थे, जबकि मोतीलाल नेहरू, सी राजगोपालाचारी और एम ए अंसारी पार्टी महासचिव थे।
खान ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था, ‘‘हमारा देश भयानक उथल-पुथल से गुजर रहा है, लेकिन यह भविष्यवाणी करने के लिए किसी भविष्यवक्ता की जरूरत नहीं है कि यह युवा भारत की अंगड़ाई है जो हमारे प्राचीन देश की गौरवशाली परंपराओं को पुनर्जीवित करेगी और दुनिया के देशों में अपना गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त करेगी।’’
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में 19-21 फरवरी, 1938 को हरिपुरा में कांग्रेस का चौथा अधिवेशन गुजरात में हुआ। यह कई कारणों से एक ऐतिहासिक सत्र था, जिसमें बोस द्वारा पहली बार पार्टी की अध्यक्षता संभालना भी शामिल था।
अपने अध्यक्षीय भाषण में बोस ने योजना आयोग बनाने के विचार के बारे में बात की थी और स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस की भूमिका को लेकर भी खुलकर विचार रखे थे।
बोस ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था, ‘‘मैं जानता हूं कि ऐसे मित्र भी हैं जो सोचते हैं कि स्वतंत्रता मिलने पर, कांग्रेस पार्टी को अपना उद्देश्य प्राप्त करने के बाद समाप्त हो जाना चाहिए। ऐसी धारणा पूरी तरह से गलत है। जो पार्टी भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती है, उसे आजादी के बाद के पुनर्निर्माण के पूरे कार्यक्रम को भी लागू करना चाहिए।’’
बोस ने अपने संबोधन कहा था, ‘‘केवल वे ही सत्ता को ठीक से संभाल सकते हैं जिन्होंने इसे पाने के लिए संघर्ष किया है। यदि ऐसे अन्य लोगों को सत्ता सौंप दी जाती है, जिन्होंने इसे हासिल करने के लिए जिम्मेदारी नहीं निभायी, तो उनमें वह ताकत, आत्मविश्वास और आदर्शवाद नहीं होगा जो क्रांतिकारी पुनर्निर्माण के लिए अपरिहार्य है।’’
कांग्रेस का पांचवां अधिवेशन गुजरात के भावनगर में 6-7 जनवरी, 1961 को नीलम संजीव रेड्डी की अध्यक्षता में हुआ था जो बाद में देश के राष्ट्रपति भी रहे।
पार्टी ने शुक्रवार को घोषणा की कि अहमदाबाद में होने वाले उसके आगामी अधिवेशन का विषय ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण और संघर्ष’ होगा।
इस सत्र में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित होने की उम्मीद है। कांग्रेस ने इस सत्र के लिए एक मसौदा समिति भी गठित की है।
भाषा शफीक