देश में वामपंथ के पुनरुत्थान के लिए बंगाल में माकपा का कायाकल्प जरूरी: पोलित ब्यूरो सदस्य सलीम
जितेंद्र प्रशांत
- 06 Apr 2025, 04:27 PM
- Updated: 04:27 PM
मदुरै, छह अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का कायाकल्प किये बिना देश में वामपंथ का पुनरुत्थान संभव नहीं होगा। माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने यह बात कही।
सलीम ने इस बात पर जोर दिया कि आरजी कर की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से पता चलता है कि वाम दल राज्य से गायब नहीं हुआ है।
सलीम ने माकपा की 24वीं पार्टी कांग्रेस के इतर ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि पार्टी राज्य में अपने पुनरुत्थान पर काम कर रही है, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यह काम आसान नहीं है।
पार्टी कांग्रेस में माकपा अपने गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में पुनरुत्थान पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या माकपा राज्य (पश्चिम बंगाल में) में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी, सलीम ने कहा कि पार्टी को मजबूत करना पहली प्राथमिकता है।
सलीम माकपा की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव भी हैं।
पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
सलीम ने पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी के भविष्य के बारे में कहा, “सीताराम येचुरी हमेशा कहा करते थे कि पश्चिम बंगाल में माकपा के कायाकल्प के बिना इस देश में वामपंथ का पुनरुत्थान संभव नहीं होगा।”
उन्होंने कहा, “स्वाभाविक रूप से, हम उस विषय पर काम कर रहे हैं। हमने अपने राज्य सम्मेलन में इस पर चर्चा की, और यहां कई अन्य चीजों के अलावा, संगठन में हमारा पहला काम देश भर में माकपा को मजबूत करना और फिर वामपंथी एकता का निर्माण करना है।”
सलीम ने कहा, “इस आधार पर वे सभी लोग जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और हिंदुत्व की राजनीति, फासीवादी प्रवृत्ति का विरोध करते हैं, उन सभी लोगों को लड़ने के लिए एक साथ आना होगा।”
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पश्चिम बंगाल में माकपा का पुनर्निर्माण, पुनर्गठन, कायाकल्प और पुनःस्थापना करना हमारा मुख्य कार्य है और हम इस कार्य में जुटे हुए हैं।”
राज्य में हालांकि माकपा को पिछले लोकसभा चुनाव में केवल 6.33 प्रतिशत मत मिले थे, वहीं 2021 के विधानसभा चुनावों में पार्टी लगभग 4.73 प्रतिशत वोट ही प्राप्त कर पाई थी, जो उसके पिछले विधानसभा चुनावों में मिले 19 प्रतिशत से काफी कम है।
सलीम ने स्वीकार किया कि यह एक कठिन कार्य है और कहा, “हर कार्य कठिन है और इसीलिए हम कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। यह कोई आसान काम नहीं है। ”
हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में हाल के दिनों में कोई निष्पक्ष चुनाव नहीं हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया, “जैसा कि हमने देखा है, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली में हाल ही में संपन्न चुनावों में लोगों का रुख कुछ और होता है और चुनावी नतीजे कुछ और। ‘आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे’ निर्वाचन आयोग व जोड़-तोड़, कॉरपोरेट फंड और चुनावी बॉन्ड, आंख मूंद कर काम कर रहे पुलिस बल के साथ यह बहुत मुश्किल कार्य है।”
पोलित ब्यूरो सदस्य ने कहा, “इतना ही नहीं, पिछले कई वर्षों से बंगाल में कोई भी वास्तविक चुनाव नहीं हुआ है, चाहे फिर पंचायत हो या लोकसभा या फिर नगरपालिका। इसके बावजूद, हम धीरे-धीरे लेकिन स्थिर तरीके से कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। 2026 के चुनाव (विधानसभा) नजदीक हैं, इसलिए हमें रणनीति बनानी होगी। हमने एक रुख अपनाया है, और हम चुनाव की तैयारी भी कर रहे हैं।”
माकपा नेता और पूर्व सांसद ने कहा कि आरजी कर घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से पता चलता है कि राज्य में वामपंथ खत्म नहीं हुआ है।
सलीम ने पिछले वर्ष आरजी कर मेडिकल कॉलेज परिसर में 31 वर्षीय महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को “एक नए प्रकार का आंदोलन” बताया।
उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन किसी राजनीतिक दल के तहत नहीं था। यह स्वतंत्रता के बाद एक नये तरह का आंदोलन था।
भाषा जितेंद्र