भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से पहले बड़े राज्यों में अध्यक्ष के चुनाव पर कर रही विचार
आशीष प्रशांत
- 06 Apr 2025, 03:37 PM
- Updated: 03:37 PM
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ करने के लिए आगामी दिनों में कई अहम राज्यों में अपने प्रमुखों का चुनाव करने की योजना बना रही है। यह प्रक्रिया पहले ही संपन्न हो जानी थी, लेकिन यह उम्मीद से ज्यादा लंबी खिंच गई।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में अपने अध्यक्षों का शीघ्र चुनाव कराना चाहता है, ताकि संगठनात्मक कवायद पूरी की जा सके, जिसकी शुरुआत पिछले साल सितंबर में राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान के आरंभ होने के साथ हुई थी।
भाजपा के संविधान के अनुसार पार्टी को अपनी कम से कम आधी प्रदेश इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरा करना होगा, जिसका अर्थ है कि नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले केंद्र शासित प्रदेशों सहित कम से कम 19 राज्यों में नए अध्यक्ष नियुक्त हो जाने चाहिए।
संगठन के आधार पर भाजपा की कुल 37 प्रदेश इकाइयां हैं। पिछले साल सितंबर में जब पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू हुआ था, तब यह माना जा रहा था कि मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की जगह नए अध्यक्ष का चुनाव इस साल जनवरी-फरवरी तक हो जाएगा।
हालांकि, पार्टी के आम सहमति बनाने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अपने वैचारिक सहयोगियों को विश्वास में लेने की कोशिश के बीच कई बड़े राज्यों में पार्टी अध्यक्षों के चुनाव में देरी हुई है।
उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा द्वारा क्रमश: भूपेंद्र सिंह और वी.डी. शर्मा की जगह नए चेहरे को चुनने की संभावना है, जबकि कर्नाटक में बी वाई विजयेंद्र को पद पर बरकरार रखा जा सकता है।
सिंह करीब तीन साल से इस पद पर हैं, शर्मा पांच साल से अधिक समय से और विजयेंद्र को नवंबर 2023 में नियुक्त किया गया था।
गुजरात, ओडिशा और पंजाब में भाजपा ने अभी तक अपने नए प्रमुखों का चुनाव नहीं किया है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल में लोकसभा में भाजपा पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की कवायद में देरी को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा भारत में सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन अभी तक वह अपना नेता नहीं चुन पाई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर जवाब दिया, ‘‘कुछ पार्टियों में, एक परिवार के केवल पांच सदस्यों को अध्यक्ष चुनना होता है, इसलिए यह आसान और त्वरित होता है, लेकिन हमें एक ऐसी प्रक्रिया के बाद (अध्यक्ष का) चुनाव करना होता है जिसमें करोड़ों सदस्य शामिल होते हैं, इसलिए इसमें समय लगता है।’’
भाषा आशीष