माकपा के सम्मेलन में फलस्तीन, परिसीमन और जनगणना को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए
जोहेब सुरेश
- 04 Apr 2025, 10:05 PM
- Updated: 10:05 PM
मदुरै, चार अप्रैल (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राष्ट्रीय सम्मेलन में शुक्रवार को गाजा पर इजराइल के हमले की निंदा करते हुए एक विशेष प्रस्ताव पारित किया। माकपा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर फलस्तीन के संबंध में भारत के लंबे समय से चले आ रहे आधिकारिक रुख को कमजोर करने का आरोप लगाया गया।
माकपा ने कई और प्रस्ताव भी पारित किए, जिसमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’, परिसीमन प्रस्तावों और जनगणना में देरी के विरोध में पारित प्रस्ताव शामिल हैं। इसके अलावा जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए भी एक प्रस्ताव पारित किया गया।
फलस्तीन से संबंधित विशेष प्रस्ताव में गाजा पर इजराइल के "नरसंहार हमले" की निंदा करते हुए तत्काल व स्थायी युद्धविराम की मांग की। माकपा के प्रस्ताव में कहा गया है, "इस बर्बर हमले में 50,021 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं।"
वामपंथी पार्टी ने केंद्र सरकार की भी आलोचना की और उस पर फलस्तीन के संबंध में भारत के रुख को कमजोर करने का आरोप लगाया।
प्रस्ताव में कहा गया है, "भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने फलस्तीन के संबंध में भारत के लंबे समय से चले आ रहे आधिकारिक रुख को कमजोर कर दिया है। फलस्तीन के लोगों के साथ दृढ़ता से खड़े होने और इजराइल पर कार्रवाई की मांग करने के बजाय, भाजपा सरकार अब इजराइल का पक्ष ले रही है।"
प्रस्ताव में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पहल का भी कड़ा विरोध किया गया और इसे "आरएसएस-भाजपा का अभियान बताया गया।
प्रस्ताव में कहा गया है, "यह उनके 'एक राष्ट्र, एक धर्म, एक भाषा, एक संस्कृति, एक नेता' के नारे का विस्तार है। उन्होंने हिटलर के फासीवादी युग से इस नारे को लिया और संशोधित किया है।"
पार्टी ने किसी भी ऐसी परिसीमन प्रक्रिया का भी विरोध किया जो संसद में किसी भी राज्य के आनुपातिक प्रतिनिधित्व को कम करती हो।
माकपा के प्रस्ताव में कहा गया है, "किसी भी परिसीमन प्रक्रिया में किसी विशेष क्षेत्र या राज्य को असंगत लाभ देने को रोका जाना चाहिए और उन राज्यों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए, जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।"
सम्मेलन में एक और प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें निर्वाचन आयोग (ईसी) द्वारा पिछले 10 वर्षों में "अपारदर्शी और असंवैधानिक तरीके" से चुनाव कराने पर "गंभीर चिंता और पीड़ा" व्यक्त की गई।
प्रस्ताव में दावा किया गया कि आयोग ने भारत की जनता के एक निष्पक्ष वर्ग का विश्वास खो दिया है।
प्रस्ताव में कहा गया है, "माकपा के 24वें सम्मेलन में पिछले एक दशक में निर्वाचन आयोग द्वारा अपारदर्शी और असंवैधानिक तरीके से चुनाव कराने पर गंभीर चिंता और पीड़ा व्यक्त की जाती है।"
सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किए गए। दो अप्रैल को शुरू हुए माकपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में तीन और चार अप्रैल को मसौदा राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा की गई।
भाषा जोहेब