पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता को इस्तीफा दे देना चाहिए, वह जेल जाएंगी: भाजपा
यासिर नरेश
- 04 Apr 2025, 01:31 PM
- Updated: 01:31 PM
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल में करीब 26 हजार शिक्षकों और गैर शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि बनर्जी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बाद शिक्षकों की भर्ती मामले में जेल जाने वाली दूसरी मुख्यमंत्री होंगी।
पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी को अब सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। अगर उनमें जरा भी जिम्मेदारी का अहसास बचा है तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए... वह निश्चित रूप से जेल जाएंगी।’’
मजूमदार ने कहा कि लगभग 26 हजार भर्ती में से करीब 20 हजार का चयन वास्तव में किया गया, जबकि अन्य को राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा कथित रूप से रचे गए घोटाले से लाभ मिला।
उन्होंने बर्खास्त किए गए योग्य कर्मचारियों को सरकार द्वारा सत्तारूढ़ पार्टी के कोष या मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से वेतन का भुगतान किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि बर्खास्त योग्य कर्मियों और उनके परिवारों को अंधकारमय भविष्य का सामना करना पड़ रहा है।
पात्रा ने कहा कि फैसले के बाद बनर्जी की विश्वसनीयता और वैधता खत्म हो गई है।
बनर्जी की इस बात पर कि वह मानवीय आधार पर फैसले को स्वीकार नहीं कर सकतीं, पात्रा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को उन पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उन अभ्यर्थियों की पहचान करने का सुझाव दिया था जिनकी भर्ती भ्रष्ट तरीकों से हुई थी।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति में खामियों तथा अवैधताओं को जानबूझकर छुपाया।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द करने से संबंधित अपने फैसले में यह तीखी टिप्पणी की।
भाषा यासिर