अमेरिका का शुल्क में वृद्धि का दांव ‘उल्टा पड़ेगा’, भारत पर प्रभाव कम: रघुराम राजन
रमण अजय
- 03 Apr 2025, 08:08 PM
- Updated: 08:08 PM
नयी दिल्ली, तीन अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का लगभग 60 देशों पर लगाया गया जवाबी शुल्क का दांव ‘उल्टा पड़ेगा’ और भारत पर इसका प्रभाव ‘कम’ होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त मूल्य-आधारित शुल्क लगाने की घोषणा की है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अल्पावधि में, इसका सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह ‘सेल्फ गोल’ (खुद को नुकसान पहुंचाने) है। अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों की बात करें तो भारत के निर्यात पर किसी भी शुल्क का सीधा प्रभाव यह होगा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, इससे उनकी मांग कम होगी और फलस्वरूप भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी।’’
दस प्रतिशत का मूल शुल्क पांच अप्रैल से और 27 प्रतिशत नौ अप्रैल से प्रभावी होगा। कुछ क्षेत्रों को शुल्क से छूट दी गई है। इनमें औषधि, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा उत्पाद शामिल हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘वास्तव में, चूंकि अमेरिका ने अन्य देशों पर भी शुल्क लगाया है तथा भारत उन देशों के उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है, ऐसे में कुल मिलाकर इसका प्रभाव केवल भारत पर शुल्क लगाने के मुकाबले कम होगा क्योंकि अमेरिकी उपभोक्ता विकल्प के तौर पर गैर-शुल्क उत्पादकों के पास तो जा पाएंगे नहीं।’’
वर्तमान में बिजनेस स्कूल, शिकॉगो बूथ में प्रोफेसर, राजन ने कहा कि ट्रंप का दीर्घकालिक मकसद अमेरिकी उत्पादन को बढ़ाना है, लेकिन, यदि यह संभव भी हो, तो इसे हासिल करने में लंबा समय लगेगा।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत पर अमेरिका के जवाबी शुल्क संभवतः महंगाई बढ़ाने वाला नहीं होगा, क्योंकि भारत कम निर्यात करेगा और घरेलू स्तर पर आपूर्ति अधिक होगी। चीन जैसे अन्य देश अब भारत को निर्यात करने का प्रयास करेंगे, क्योंकि अमेरिकी बाजार अधिक बंद है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है, राजन ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से उन शुल्क को कम कर सकते हैं जिन्हें हम बढ़ा रहे हैं। यह भारत के लिए फायदेमंद होगा, भले ही इससे हमें अमेरिकी शुल्क को कम करने में मदद मिले या नहीं।’’
उन्होंने कहा कि भारत को यह समझने की आवश्यकता है कि दुनिया बहुत अधिक संरक्षणवादी हो गई है, इसलिए हमें व्यापार को लेकर अधिक चतुराई से काम करना होगा।
राजन ने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व में आसियान और जापान, दक्षिण पश्चिम में अफ्रीका और उत्तर पश्चिम में यूरोप की ओर देखने का मतलब बनता है।
उन्होंने कहा कि चीन के साथ बराबरी का संबंध स्थापित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही, हमें अपने पड़ोसी देशों, दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के साथ भी मजबूत संबंध बनाने चाहिए।’’
राजन ने कहा, ‘‘इसका मतलब है राजनीतिक मतभेदों पर काबू पाना। जैसे-जैसे दुनिया क्षेत्रीय ब्लॉक में बंटती जा रही है, दक्षिण एशिया को अलग-थलग नहीं रहना चाहिए।’’
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क दरों का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए लगभग 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है।
उन्होंने भारत पर 27 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत उच्च आयात शुल्क वसूलता है, ऐसे में अब देश के व्यापार घाटे को कम करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।
भाषा रमण