पीजी मेडिकल दाखिला: काउन्सलिंग का अतिरिक्त चरण आयोजित करने से जुड़ी याचिका पर एम्स से जवाब तलब
संतोष दिलीप
- 31 Mar 2025, 06:19 PM
- Updated: 06:19 PM
नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर केंद्र और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि एम्स कुछ रिक्त सीट के बावजूद मेडिकल शिक्षा के परास्नातक(पीजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश से जुड़ी राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (आईएनआई-सीईटी)-2025 के तहत दाखिले के लिये काउन्सलिंग का अतिरिक्त चरण (स्पॉट राउन्ड) आयोजित करने में विफल रहा।
परास्नातक मेडिकल काउन्सलिंग में, "ओपन राउंड" (मुख्य चरण) का मतलब है कि काउन्सलिंग प्रक्रिया का वह दौर जहां सभी सीटें सभी योग्य उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध होती हैं, जबकि "स्पॉट राउंड" (अतिरिक्त चरण) का मतलब है कि जब पहले चरण या मुख्य चरण में सीटें खाली रह जाती हैं, तो उन खाली सीटों के लिए आयोजित किया जाने वाला एक अतिरिक्त दौर।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने आईएनआई-सीईटी के जनवरी, 2025 के सत्र में शामिल कई चिकित्सकों द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली स्थित एम्स को नोटिस जारी किया।
अदालत ने 28 मार्च को याचिका पर सुनवाई करते हुए इसकी अगली सुनवाई को चार अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।
याचिका में दाखिले के लिये काउन्सलिंग का अतिरिक्त चरण आयोजित करने में एम्स की विफलता को चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि आईएनआई-सीईटी के जनवरी 2025 सत्र के लिए मुख्य दाखिला चरण (ओपन राउन्ड) के बाद अतिरिक्त दाखिला चरण (स्पॉट राउन्ड) आयोजित किया जाना था।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील तन्वी दुबे ने अदालत को ‘प्रॉस्पेक्टस’ (विवरणिका) दिखाते हुए तर्क दिया कि मुख्य चरण के बाद सीट आवंटन की प्रक्रिया के तहत, यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त चरण भी आयोजित किया जाना था। वकील ने अदालत से एम्स को बिना किसी देरी के आईएनआई-सीईटी काउन्सलिंग का अतिरिक्त चरण आयोजित करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
एम्स के वकील ने दलील दी कि याचिका ‘गलत तथ्य पर आधारित’ है और कहा कि परास्तानक (पीजी) की सीट, जो काउन्सलिंग के मुख्य चरण के बाद भी खाली रहेंगी, उनके लिए केवल संबंधित आईएनआई द्वारा उनके सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद अतिरिक्त चरण आयोजित करके भरा जा सकता है।
एम्स के वकील ने कहा कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई), जहां रिक्तियां उपलब्ध हैं, इस मामले में आवश्यक पक्ष हैं। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह आईएनआई को पक्षकार बनाने के लिए एक आवेदन दायर करेंगी, जो आवश्यक पक्ष हैं।
एम्स ने पीजी पाठ्यक्रमों (एमडी/एमएस/एम.सीएच. (छह वर्ष)/डीएम (छह वर्ष)/एमडीएस) के लिए आईएनआई-सीईटी परीक्षा के लिए ‘प्रॉस्पेक्टस’ जारी किया था और 10 नवंबर, 2024 को परीक्षा आयोजित की थी। परिणाम 16 नवंबर, 2024 को घोषित किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि एम्स ने ‘प्रॉस्पेक्टस’ में कहा है कि ‘‘एमडी/एमएस पाठ्यक्रमों के विभिन्न विषयों का आवंटन राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संयुक्त ऑनलाइन काउंसलिंग द्वारा किया जाएगा। ऑनलाइन काउंसलिंग का पहला, दूसरा (ओपन चरण) और ‘स्पॉट’ चरण (यदि आवश्यक हो) दिल्ली स्थित एम्स द्वारा सभी आईएनआई के लिए आयोजित किया जाएगा।’’
इसमें कहा गया है कि अभ्यर्थियों को यह लग रहा था कि ‘प्रॉस्पेक्टस’ के मुताबिक ‘स्पॉट’ चरण आयोजित किया जाएगा, लेकिन बाद में उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि एम्स ने ‘स्पॉट’ चरण आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया है और इससे याचिकाकर्ताओं को सीट सुरक्षित करने के लिए काउंसलिंग में भाग लेने के अवसर से वंचित होना पड़ा।
भाषा संतोष