हमारे हाथ सांसद को कानून के दायरे में रखने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत : अदालत
जितेंद्र रंजन
- 25 Mar 2025, 08:46 PM
- Updated: 08:46 PM
नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अदालत और लोकसभा अध्यक्ष शक्तिहीन नहीं हैं और वे जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के सांसद अब्दुल रशीद शेख को संसदीय कानून के दायरे में बांधे रखने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत हैं।
उच्च न्यायालय ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में जेल में बंद जम्मू कश्मीर के बारामूला लोकसभा क्षेत्र से सांसद अब्दुल रशीद शेख की संसद के चालू सत्र में भाग लेने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
अदालत ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की इस आशंका को खारिज कर दिया कि संसद परिसर में प्रवेश करने के बाद आरोपी पर उनका कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने सुनवाई के दौरान कहा, “ मैं बस इतना ही कहूंगा कि हमें आशंकाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए, हमें इतना शक्तिहीन नहीं होना चाहिए कि हे भगवान संसद के अंदर वह ऐसा या वैसा कर देगा। वह हमारी हिरासत में रहेगा। हमारे हाथ उसे नियंत्रण में रखने के लिए पर्याप्त रूप से लंबे और मजबूत हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं अपने लिए कहता हूं कि मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि वह (सांसद रशीद) कानून का पालन नहीं करेंगे, भले ही खंडपीठ ने कहा हो कि ऐसा या वैसा मत करना।”
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति भंभानी की पीठ ने एनआईए और रशीद के वकील की दलीलों के बाद कहा कि वह एक विस्तृत आदेश पारित करेंगे। उच्च न्यायालय ने कहा कि एनआईए की आशंकाओं के मद्देनजर रशीद पर उचित शर्तें लगाई जा सकती हैं, बशर्ते उसे हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जाए।
संसद सत्र चार अप्रैल तक जारी रहेगा।
रशीद की याचिका में संसद में उपस्थित होने के लिए हिरासत पैरोल देने का अनुरोध किया गया था लेकिन उनके वकील ने मंगलवार को कहा कि वे (रशीद) केवल हिरासत में सदन में उपस्थित होने की अनुमति के लिए आग्रह कर रहे हैं और अदालत को आश्वासन दिया कि सांसद अदालत की शर्तों और आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे।
पीठ ने कहा कि अदालत व लोकसभा अध्यक्ष शक्तिहीन नहीं हैं और किसी को संसद के अंदर अनुशासन लागू करने के लिए अध्यक्ष तथा महासचिव की स्थिति व शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए।
पीठ ने कहा, “हम उन्हें (रशीद को) यहां जमानत नहीं दे रहे हैं। वह हिरासत में हैं, हम अपने अधिकारियों को हर जगह उनके साथ भेज रहे हैं, सिवाय उन जगहों को छोड़कर जहां उन्हें अनुमति नहीं है।”
न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा, “फिर वह (रशीद) लोकतंत्र के सर्वोच्च स्थान की सीमा में हैं, वह संसद के अंदर हैं। कम से कम संसद के अंदर अनुशासन लागू करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष और महासचिव की स्थिति और शक्ति को कम मत आंकें। आप (एनआईए) कहते हैं कि नहीं, वह नियंत्रण में नहीं होंगे। कैसे?”
एनआईए के वकील ने जब अदालत से मामले में आरोपी की भूमिका पर गौर करने का आग्रह किया तो पीठ ने कहा, “हम एक पल के लिए भी उसके खिलाफ आरोपों की गंभीरता और जघन्यता को कम नहीं आंकते। इस बारे में आश्वस्त रहें। राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे ऊपर है, इसमें कोई संदेह नहीं है।”
अदालत ने एनआईए से अतिरिक्त शर्तें सुझाने को कहा, जिन्हें वह राशिद पर लगाना उचित समझती है।
अदालत ने कहा, “क्या हम महासचिव या लोकसभा अध्यक्ष से विशेष अनुमति ले सकते हैं कि संसद के अंदर भी सादे कपड़ों में एक जेल अधिकारी या पुलिस अधिकारी उनके साथ रहे।”
अदालत ने कहा कि रशीद को यह वचन देना होगा कि वह सांसद के रूप में अपनी शपथ का पालन करेंगे।
अधीनस्थ न्यायालय ने रशीद की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी थी।
रशीद पर 2017 के आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चल रहा है।
रशीद ने 10 मार्च के अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए अभिरक्षा पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
एनआईए ने 17 मार्च को दाखिल जवाब में दलील दी कि रशीद को सांसद के रूप में अपने दर्जे का उपयोग करके ‘‘कारावास की कठोर सजा से बचने’’ की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जांच एजेंसी ने कहा कि रशीद को न तो अंतरिम जमानत दी जा सकती है और न ही अभिरक्षा पैरोल दी जा सकती है क्योंकि हिरासत में रहते हुए उन्हें संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है।
भाषा जितेंद्र