पंजाब सरकार ने अदालत को बताया, ‘डल्लेवाल को हिरासत में नहीं लिया गया’
जितेंद्र रंजन
- 24 Mar 2025, 10:59 PM
- Updated: 10:59 PM
चंडीगढ़, 24 मार्च (भाषा) पंजाब सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में बताया कि वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को हिरासत में नहीं लिया गया बल्कि उनकी इच्छानुसार उन्हें पटियाला के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर अनशनकारी किसान नेता को कथित तौर पर हिरासत में लिये जाने पर जवाब और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिये कहा था।
सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि वरिष्ठ किसान नेता को पटियाला के एक निजी अस्पताल में ‘उनकी इच्छानुसार भर्ती कराया गया है क्योंकि उन्होंने अपनी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अस्पताल में भर्ती होने का विकल्प चुना था’।
सरकार ने कहा कि वह (डल्लेवाल) कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
होशियारपुर के रहने वाले एक व्यक्ति ने पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिये गये डल्लेवाल की रिहाई की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायालय ने किसान नेता के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया था। डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के संयुक्त मंच के नेता हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कथित रूप से हिरासत में लिया जाना अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 के तहत उनके (डल्लेवाल के) मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि पुलिस ने कोई औपचारिक गिरफ्तारी प्रक्रिया या आरोप नहीं लगाया।
सोमवार को जब मामला उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए आया तो पंजाब पुलिस ने दलील दी कि डल्लेवाल को हिरासत में नहीं लिया गया है।
राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल किया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रतिवादी (राज्य) डल्लेवाल के परिवार के सदस्यों को अस्पताल में उनसे मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
वकील ने अनुरोध किया कि अस्पताल परिसर में डल्लेवाल की उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की व्यवस्था करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। अदालत ने कहा, “इस समय राज्य सरकार के वकील ने यह तथ्य पेश किया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार, राज्य सरकार कथित तौर पर हिरासत में लिये गये व्यक्ति की चिकित्सा देखभाल के लिए जिम्मेदार है।”
उच्च न्यायालय ने कहा, “अस्पताल परिसर में व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मिलने में किसी को कोई आपत्ति नहीं है।”
भाषा जितेंद्र