राष्ट्रीय राजधानी में धूमधाम से मनाया जा रहा ‘बिहार दिवस’, दिल्ली हाट में भव्य मेले का आयोजन
पारुल धीरज
- 22 Mar 2025, 11:11 PM
- Updated: 11:11 PM
नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में भी शनिवार को ‘बिहार दिवस’ धूमधाम से मनाया गया और इस उपलक्ष्य में आईएनए स्थित दिल्ली हाट में राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा हस्तशिल्प को प्रदर्शित किया गया।
‘बिहार उत्सव’ 16 मार्च से 31 मार्च 2025 तक दिल्ली हाट, आईएनए में आयोजित किया जा रहा है। वर्ष 1912 में 22 मार्च को बंगाल का विभाजन करके अलग बिहार राज्य बनाया गया था।
बिहार उत्सव के तहत दिल्ली हाट में आयोजित कार्यक्रम में बिहार के कला, शिल्प और सांस्कृतिक परंपरा की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम में बिहार सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘मैं इतिहास का छात्र रहा हूं और एक समय था, जब विश्व का इतिहास बिहार के आसपास ही घूमता था। अगर आप बिहार के हैं, तो अपने दोस्तों से जरूर कहें कि एक बार बिहार जरूर आएं, बिहार जरूर घूमें, बिहार में बहुत कुछ है, जो देशभर के लोगों को देखना चाहिए|’’
उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग के क्षेत्र में अब बिहार अपनी जिम्मेदारी समझ रहा है। जो बिहार से बाहर रह रहे हैं, वे भी देख रहे है कि बिहार लगातार आगे बढ़ रहा है। आज बिहार में अवसंरचना, सुशासन सहित सब कुछ है। बिहार एक ऊंची उड़ान के लिए तैयार है।’’
उद्योग विभाग की सचिव बंदना प्रेयशी ने कहा, ‘‘113 साल पहले बिहार राज्य की स्थापना की गई थी। तब से हम यह उत्सव मना रहे हैं। हम सब मिलकर बिहार की एक नयी तस्वीर पेश करना चाहते हैं। बिहार बस मधुबनी पेंटिंग नहीं है, भागलपुर का सिल्क नहीं है, लीची नहीं है, बल्कि बिहार अब निवेश का केंद्र भी बनता जा रहा है।’’
बिहार सरकार के रेजिडेंट कमिश्नर कुंदन कुमार ने बिहार से बाहर रह रहे राज्य के लोगों से आह्वान किया कि वे बिहार से जुड़ें और राज्य के विकास में भागीदार बनें।
तकनीकी विकास निदेशक शेखर आनंद ने कहा, ‘‘यहां प्रदर्शित प्रत्येक कलाकृति बिहार के शिल्प और सांस्कृतिक धरोहर की कहानी बयां करती है। हमारे कारीगर न केवल इतिहास को संजोए हुए हैं, बल्कि भविष्य का भी निर्माण कर रहे हैं।’’
बिहार उत्सव 2025 के तहत एक विशेष सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मनीषा झा ने भरतनाट्यम की, नालंदा संगीत कला विकास संस्थान ने लोक नृत्य, डॉ.सुष्मिता झा ने लोक संगीत, डॉ. नलिनी जोशी ने शास्त्रीय गायन, रेखा झा ने लोक एवं पार्श्व गायन और गोस्वामी आराध्य गिरी (लूसी भारत) ने लोक संगीत की प्रस्तुति दी।
भाषा पारुल धीरज