करनाल में कल्पना चावला के स्कूल में सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी पर खुशी की लहर
आशीष देवेंद्र
- 19 Mar 2025, 09:37 PM
- Updated: 09:37 PM
चंडीगढ़, 19 मार्च (भाषा) भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के 286 दिन तक अंतरिक्ष में रहने के बाद बुधवार को धरती पर लौटने पर करनाल के टैगोर बाल निकेतन के विद्यार्थियों ने भी राहत की सांस ली।
इसी स्कूल ने दुनिया को कल्पना चावला के रूप में एक प्रतिभाशाली अंतरिक्ष यात्री दिया, जो अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं।
अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा थे, जिन्होंने 1984 में रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज टी-11 से उड़ान भरी थी।
करनाल में 1962 में जन्मीं चावला की मृत्यु एक फरवरी, 2003 को हुई, जब टेक्सास और लुइसियाना के ऊपर कोलंबिया अंतरिक्ष यान नष्ट हो गया, जिससे उसमें सवार कल्पना चावला समेत सभी सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
चावला ने अपनी स्कूली शिक्षा टैगोर बाल निकेतन से पूरी की और 1982 में चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वह उसी वर्ष अमेरिका चली गईं। छह दशकों से अधिक समय से अस्तित्व में रहे इस स्कूल ने उनकी याद में एक सभागार समर्पित किया है।
स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ राजन लांबा ने कहा, ‘‘सुनीता विलियम्स और सहयोगी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी पर हर कोई खुश और राहत महसूस कर रहा है... स्कूल बोर्ड परीक्षाओं के कारण हम स्कूल में समारोह आयोजित नहीं कर सके, लेकिन छात्र, शिक्षक सहित हर कोई खुश था।’’
लांबा ने स्कूल की संस्थापक और चावला के बीच मिशन पर रवाना होने से पहले आदान-प्रदान किए गए संदेशों को याद करते हुए कहा कि कोलंबिया स्पेस शटल की यादें अभी भी उनके मन में ताजा हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब कल्पना चावला अपने अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाली थीं, तो उन्होंने स्कूल की संस्थापक-अध्यक्ष को फोन किया और उनसे कुछ ऐसा देने को कहा, जिसे वह अंतरिक्ष में स्मृति चिह्न के रूप में ले जा सकें।’’
कल्पना चावला ने 16 जनवरी, 2002 को स्कूल की संस्थापक विमला रहेजा को एक ईमेल में लिखा था, ‘‘मेरी प्यारी रहेजा दीदी, दलजीत दीदी, अरोड़ा दीदी और स्कूल परिवार, आपको धन्यवाद और नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।’’
स्कूल ने उनकी इच्छा का पालन किया और स्कूल के प्रतीक के साथ एक झंडा भेजा जिस पर यह उद्धरण अंकित था: ‘‘अंतरिक्षम विज्ञानम अन्वेषणम।’’
उन्होंने 14 अप्रैल, 2002 को रहेजा को अपना अंतिम ईमेल लिखा, ‘‘प्रिय बड़ी दीदी, मुझे कोलंबिया की उड़ान के लिए आपके द्वारा बनाया गया बेहद खूबसूरत बैनर प्राप्त हुआ है। धन्यवाद...।’’
कल्पना चावला की याद में, केंद्रीय रेल मंत्रालय ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में कल्पना चावला जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी चेयर (केसीसी जीटी) की स्थापना की।
हरियाणा सरकार ने उनके नाम पर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का नाम रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
भाषा आशीष