देश में एक ही जल न्यायाधिकरण होना चाहिए, 6 महीनों में अंतर-राज्यीय विवादों का हल हो : बोम्मई
सुभाष अविनाश
- 19 Mar 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई ने बुधवार को लोकसभा में सुझाव दिया कि देश में केवल एक ही जल न्यायाधिकरण होना चाहिए, जिसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश हों और छह महीनों के भीतर अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों का समाधान किया जाना चाहिए।
बोम्मई ने सदन में, वर्ष 2025-26 के लिए जल शक्ति मंत्रालय के वास्ते अनुदान की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आजादी के बाद देश को अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम के कारण काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने दावा किया कि इस अधिनियम ने विवादों को सुलझाने की तुलना में कहीं अधिक विवाद पैदा किये हैं।
भाजपा सांसद ने कहा कि इस अधिनियम की धारा 3 स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि दो राज्यों के बीच नदी जल को लेकर विवाद होता है और उनमें से कोई एक राज्य केंद्र सरकार के पास जाता है तो न्यायाधिकरण का गठन किया जाएगा।
भाजपा सांसद ने उल्लेख किया कि पंजाब-हरियाणा जल विवाद मामले में न्यायाधिकरण का गठन किया गया। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से जुड़े नदी जल विवादों को लेकर न्यायाधिकरण गठित किए गए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और गुजरात से जुड़े नदी जल विवादों के लिए भी न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 50 साल से न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं, 30-40 वर्ष में भी विवाद नहीं सुलझ रहे और जल बंटवारे से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। इसका भारी वित्तीय नुकसान पहुंचा है। 20 करोड़ रूपये की परियोजना की लागत बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये की हो गई। यह देर से न्याय मिलना नहीं, न्याय नहीं मिलने के समान है।’’
बोम्मई ने कहा कि वर्तमान में कई न्यायाधिकरण हैं जिनमें 80 साल, 83 साल, 84 साल की आयु के न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा कि वे 20 साल से न्यायाधिकरणों में बने हुए हैं और सभी राज्यों को विवाद के समाधान के लिए दिल्ली आना पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुझाव देना चाहता हूं कि केवल एक जल (विवाद) न्यायाधिकरण हो, जिसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश करें और छह महीनों के अंदर अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों का समाधान हो।’’
उन्होंने पानी की समस्या के वैश्विक होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमारा देश ‘ग्रीन’ से ‘ऑरेंज’ श्रेणी में आ गया है। इसलिए, जल संरक्षण और इसके उपयोग में संतुलन बनाने एवं जल का पुनर्चक्रण करने की जरूरत है।’’
भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘वर्षों तक हमने केवल जल भंडारण और संचयन पर जोर दिया है, जैसे कि बांध बनाना आदि। लेकिन जल के उपयोग को युक्तिसंगत बनाने पर ध्यान नहीं दिया। अब इसके प्रबंधन और वितरण पर ध्यान देने का वक्त आ गया है।’’
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