स्वास्थ्य सेवा पर जीडीपी के 2.5 प्रतिशत खर्च के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं : नड्डा
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अविनाश
- 19 Mar 2025, 06:37 PM
- Updated: 06:37 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में देश में बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन हुआ है और इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।
साथ ही उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा पर सरकार का खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.84 प्रतिशत तक पहुंच गया है और यह धीरे-धीरे 2.5 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा कि 2013-14 में, स्वास्थ्य सेवा के लिए धन का आवंटन लगभग 38,000 करोड़ रुपये था जो वर्तमान में 99,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मान लें कि यह एक लाख करोड़ रुपये है।
नड्डा ने कहा, ‘‘2013-14 में सरकारी स्वास्थ्य व्यय, जिसमें राज्य और केंद्र शामिल हैं, 1.15 प्रतिशत था और जब स्वास्थ्य नीति प्रतिपादित की गई थी तब यह 1.35 प्रतिशत था। अब, यह जीडीपी का 1.84 प्रतिशत है। हम धीरे-धीरे 2.5 प्रतिशत की ओर बढ़ रहे हैं।’’
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में 2025 तक जीडीपी के हिस्से के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई) को बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का प्रावधान किया गया है।
नड्डा ने कहा कि देश भर में लगभग 1.75 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य संस्थान के साथ रोगी के पहले ‘संपर्क बिंदु’ के रूप में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कुछ आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (एनक्यूएएस) को लागू किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने का प्रयास किया है और इसलिए 22 एम्स और नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलकर और उनका उन्नयन करके किफायती स्वास्थ्य सेवा में वृद्धि की गई है।
उन्होंने कुपोषण की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि सारे मंत्रालयों के साथ मिलकर इसके समाधान की दिशा में प्रयास हो रहे हैं।
कई सदस्यों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता जताए जाने पर नड्डा ने कहा कि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है।
नड्डा ने कहा कि पहले जो स्वास्थ्य नीति थी, उसके केंद्र में ‘‘क्यूरेटिव (उपचारात्मक) हेल्थ केयर’’ था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2017 में बनी स्वास्थ्य नीति व्यापक स्वास्थ्य देखभाल पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें क्यूरेटिव के साथ ही प्रीवेंटिव (निवारक) और प्रोमोटिव (प्रोत्साहक) हेल्थ केयर का भी ध्यान रखा गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन हुआ है और इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। पहले जहां एलोपैथी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथी का झगड़ा होता था। वही आज सभी एक छत के नीचे काम कर रहे हैं।’’
नड्डा ने कहा कि भारत आज टीवी मुक्त होने की दिशा में अग्रसर है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में पहला एम्स खोला था और तब से लेकर 1998 तक एक भी एम्स नहीं खोला गया।
उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनी तो छह एम्स खोले गए लेकिन उसके बाद 10 साल के संप्रग के कार्यकाल में सिर्फ एक एम्स रायबरेली में खोला गया। उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के बीच कुल 22 एम्स बने हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘यह नीतियों और उसके क्रियान्वयन के फर्क को दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार का जोर स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता के विकास और उनके प्रशिक्षण पर है।
नड्डा ने कहा कि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु केंद्र के बाद जम्मू, बेंगलुरु, डिब्रूगढ़ और जबलपुर में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी खोला जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने जन औषधि केंद्र को शानदार उपलब्धि बताया और कहा कि देशभर में अभी 15,000 जन औषधि केंद्र हैं जबकि इस साल 5,000 और दो साल के अंदर 25,000 केंद्र खोले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इन औषधि केंद्रों की मदद से मरीजों की 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र