बदलापुर मामला: सत्र अदालत में पूरे मामले को चुनौती देना चाहती है महाराष्ट्र सरकार
अमित रंजन
- 19 Mar 2025, 06:16 PM
- Updated: 06:16 PM
मुंबई, 19 मार्च (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की मौत पर मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के संबंध में ठाणे सत्र अदालत में जारी पूरी कार्यवाही को चुनौती देना चाहती है।
सरकार ने यह भी कहा कि सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों को स्थगित रखने के अपने पहले के आदेश को आगे नहीं बढ़ाया है।
रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट ने बदलापुर मामले के 24 वर्षीय आरोपी की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया था।
इस महीने के शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के निष्कर्षों को स्थगित रखने के सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी।
लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने बुधवार को न्यायमूर्ति आर एन लड्ढा की एकल पीठ को बताया कि सरकार अब सत्र अदालत के समक्ष लंबित पूरी कार्यवाही की वैधता को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन करना चाहती है।
सत्र अदालत ने अंतरिम आदेश मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के खिलाफ पांच पुलिसकर्मियों द्वारा दायर आवेदन पर पारित किया।
वेनेगांवकर ने कहा कि सरकार की याचिका में पहले केवल सत्र अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘सत्र अदालत ने अपना आदेश आगे नहीं बढ़ाया है। इसलिए अब तकनीकी रूप से कोई रोक नहीं है। सरकार सत्र अदालत के समक्ष लंबित पूरी कार्यवाही को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन करना चाहती है।’’
वेनेगांवकर ने कहा कि मजिस्ट्रेट द्वारा शुरू की गई जांच एक प्रशासनिक प्रक्रिया थी, न कि न्यायिक प्रक्रिया, इसलिए पांचों पुलिसकर्मियों द्वारा एक पुनरीक्षण याचिका दायर नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ भी इस मामले से संबंधित मामले पर विचार कर रही है, इसलिए सत्र अदालत द्वारा पुलिसकर्मियों के आवेदन पर सुनवाई करना और आदेश पारित करना उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति लड्ढा ने सरकार को अपनी याचिकाओं में संशोधन करने की अनुमति दी, पांचों पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई सात मई को करना निर्धारित किया।
मजिस्ट्रेट ने पिछले महीने उच्च न्यायालय को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में पांच पुलिसकर्मियों के इस दावे पर संदेह जताया था कि उन्हें आत्मरक्षा में आरोपी पर गोली चलानी पड़ी थी, क्योंकि आरोपी ने तलोजा जेल से कल्याण ले जाते समय कथित तौर पर उनकी एक बंदूक छीन ली थी।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुलिसकर्मी स्थिति को नियंत्रित करने की स्थिति में थे और बल प्रयोग उचित नहीं था।
इसके बाद पांचों पुलिसकर्मियों ने मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट के खिलाफ ठाणे की सत्र अदालत में एक आवेदन दायर किया। सत्र अदालत ने एक अंतरिम आदेश में आवेदन की अंतिम सुनवाई तक रिपोर्ट के निष्कर्षों पर रोक लगा दी।
सरकार ने अपने आवेदन में कहा था कि सत्र अदालत का आदेश ‘‘गलत और अवैध’’ था और न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेट रिपोर्ट के निष्कर्षों को स्थगित रखकर गलती की थी।
उसने कहा कि सत्र अदालत इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा कि उच्च न्यायालय आरोपियों के कथित मुठभेड़ से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है। मृतक आरोपी को अगस्त 2024 में बदलापुर के एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो नाबालिग लड़कियों का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह स्कूल में एक अटेंडेंट था।
उनकी 23 सितंबर, 2024 को तलोजा जेल से पूछताछ के लिए ले जाते समय कथित पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई।
भाषा अमित