धनखड़ ने मुफ्त की योजनाओं, सब्सिडी जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता जताई
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र मनीषा
- 19 Mar 2025, 04:10 PM
- Updated: 04:10 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मुफ्त की योजनाओं (फ्रीबीज) और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर उच्च सदन में एक व्यवस्थित चर्चा की वकालत करते हुए बुधवार को कहा कि सरकार के सभी निवेश का सही तरीके से उपयोग हो सके, इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति की तत्काल आवश्यकता है।
समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव द्वारा शून्यकाल में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) यानी सांसद निधि को मौजूदा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये प्रति वर्ष करने की मांग किए जाने के बाद धनखड़ ने कहा कि अगर सरकार और विपक्ष सहमत होते हैं तो वह इस मुद्दे पर व्यवस्थित चर्चा के लिए तैयार हैं।
मुफ्त बिजली और पानी, सब्सिडी वाली रसोई गैस और किसानों और महिलाओं जैसे कुछ समूहों को नकदी दिए जाने की चुनावी घोषणाओं की अक्सर आलोचना होती है। ऐसी योजनाओं से सरकार पर वित्तीय बोझ भी पड़ते हैं।
धनखड़ ने कहा, ‘‘प्रलोभन तंत्रों पर, तुष्टिकरण पर, जिसे अक्सर फ्रीबीज के रूप में जाना जाता है... इस सदन को विचार करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘... क्योंकि देश केवल तभी प्रगति करता है जब पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) उपलब्ध हो। चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो गई है कि ये चुनावी प्रलोभन बन गए हैं और इसके बाद सत्ता में आई सरकारों को इतनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा कि वे अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहती थीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक राष्ट्रीय नीति की अत्यंत आवश्यकता है ताकि सरकार के सभी निवेश किसी भी रूप में एक संरचित तरीके से बड़े हित में उपयोग किए जाएं।’’
धनखड़ ने कहा कि अगर दोनों पक्षों के नेता सहमत होते हैं तो चर्चा हो सकती है।
सभापति ने सब्सिडी के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कृषि क्षेत्र जैसी आवश्यकताओं के लिए सब्सिडी की जरूरत है तो इसे सीधे प्रदान किया जाना चाहिए और यही विकसित देशों में प्रचलित है।’’
धनखड़ ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी प्रणाली की जांच की। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका में कृषक परिवार की औसत आय अमेरिका के सामान्य परिवार की आय से अधिक है और इसका कारण यह है कि वहां किसानों को सब्सिडी सीधे, पारदर्शी तरीके से और बिना किसी बिचौलिए के दी जाती है।’’
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र