केरल के मंदिर उत्सव में डीवाईएफआई के झंडे लगे होने पर सतर्कता जांच के आदेश
जितेंद्र दिलीप
- 15 Mar 2025, 10:35 PM
- Updated: 10:35 PM
तिरुवनंतपुरम, 15 मार्च (भाषा) केरल के कोल्लम जिले के एक मंदिर में उत्सव में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के झंडे कथित तौर पर लगाने के मामले में त्रावणकोर देवस्व ओम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने शनिवार को सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं।
विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने मंदिर में हुई घटना की आलोचना की और सत्तारूढ़ पार्टी पर राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए जगह बनाने की कोशिश करने वाली ‘बेशर्म पार्टी’ होने का आरोप लगाया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने एक बयान में कहा कि कोल्लम के कडक्कल मंदिर में उत्सव के दौरान वामपंथी पार्टी के प्रतीकों के साथ-साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और डीवाईएफआई के नाम पृष्ठभूमि वीडियो में प्रदर्शित किए गए थे, जबकि एक गायक ने माकपा के दिवंगत नेता पुथुकुडी पुष्पन के लिए एक गीत प्रस्तुत किया था।
सतीशन ने दलील दी, “क्या इस (गायक) व्यक्ति के पास गाने के लिए कोई और जगह नहीं थी? भक्तों से यह क्यों पूछा जा रहा है कि क्या वे पुष्पन को जानते हैं? यह एक बेशर्म पार्टी है। क्या उनका लक्ष्य वहां संघर्ष पैदा करना और भाजपा के लिए जगह बनाना है? समस्या यह है कि सत्ता का अहंकार उनके सिर पर चढ़ गया है।”
वर्ष 1994 में कुथुपरम्बा थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा गोलीबारी में पुष्पन जीवित बचे थे। इस घटना ने केरल को हिलाकर रख दिया था।
पिछले वर्ष 54 की उम्र में पुष्पन का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था।
घटना के दौरान लगी गंभीर चोटों के कारण वे पूरी तरह से बिस्तर पर थे और उन्हें 1994 की गोलीबारी का ‘जीवित शहीद’ माना जाता था।
इस घटना में सत्तारूढ़ माकपा के युवा संगठन डीवाईएफआई के पांच कार्यकर्ता मारे गए थे।
गायक अलोशी एडम्स ने बाद में एक टीवी चैनल को बताया कि उन्होंने यह गाना नहीं चुना, बल्कि दर्शकों के अनुरोध पर इसे गाया था।
उन्होंने कहा, “एक कलाकार के तौर पर मेरा मकसद दर्शकों को खुश करना है। अगर उन्होंने भक्ति गीत गाने के लिए कहा होता, तो मैं उसे भी गाता।”
एडम्स ने यह भी बताया कि उन्होंने पहले भी अन्य मंदिर उत्सवों में क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए हैं और उनका मानना है कि सिर्फ इसलिए भक्ति गीत गाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह एक मंदिर उत्सव था।
उन्होंने प्रस्तुति के दौरान डीवाईएफआई और माकपा के झंडों के बारे में स्पष्ट किया कि उन्होंने आयोजकों को कोई वीडियो या दृश्य उपलब्ध नहीं कराए।
एडम्स ने कहा, “दीवार पर पहले से ही एलईडी लगे हुए थे और जो भी हुआ, वहां मौजूद तकनीशियनों ने किया।”
गायक ने कहा कि उन्हें टीडीबी द्वारा मामले की जांच करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
बोर्ड के अध्यक्ष पी. एस. प्रशांत ने शनिवार को बताया कि मंदिरों के अंदर राजनीतिक झंडे या प्रतीकों के प्रदर्शन पर अदालतों ने सख्त प्रतिबंध लगाया है। इस संबंध में बोर्ड ने पहले ही सभी मंदिरों को परिपत्र जारी किया था।
उन्होंने एक टीवी चैनल को बताया, “ इस मंदिर उत्सव के कार्यक्रम प्रबंधन समिति द्वारा आयोजित किए गए थे। जैसे ही हमें इस घटना की जानकारी मिली, हमने उन्हें नोटिस जारी करने का आदेश दिया। हमने इस मामले में सतर्कता जांच के आदेश भी दिए हैं और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) माकपा की युवा इकाई है।
प्रशांत ने कहा कि पिछले हफ्ते पेरुंबवूर के एक मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अभ्यास आयोजित होने को लेकर भी रिपोर्ट मिली थी।
उन्होंने कहा,“हमने वहां भी यही रुख अपनाया कि मंदिरों में किसी भी राजनीतिक दल के झंडे, प्रतीक या गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
टीडीबी के सदस्य ए. अजीत कुमार ने कहा कि बोर्ड की अगली बैठक 19 मार्च को तिरुवनंतपुरम में होगी, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा, “हमारा रुख स्पष्ट है कि कोई भी मंदिर उत्सव राजनीतिक गतिविधियों, झंडों या प्रतीकों का मंच नहीं बनना चाहिए। यह हमारी सख्त नीति है और इसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड का किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है।”
भाषा जितेंद्र