बागी अकालियों ने एसजीपीसी सदस्यों से जत्थेदारों को हटाने के फैसले को खारिज करने की अपील की
रंजन नरेश
- 10 Mar 2025, 10:07 PM
- Updated: 10:07 PM
चंडीगढ़, 10 मार्च (भाषा) विद्रोही अकाली नेताओं ने सोमवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्यों से अपील की कि वे शीर्ष गुरुद्वारा निकाय की कार्यकारी समिति द्वारा जत्थेदारों को हटाने के फैसले को खारिज करने के लिए आगे आएं।
पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला, एसजीपीसी की पूर्व प्रमुख बीबी जगीर कौर, पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा और चरणजीत सिंह बराड़ समेत कई नेताओं ने दो जत्थेदारों को हटाए जाने के मद्देनजर एक बैठक की।
एसजीपीसी की कार्यकारी समिति ने सात मार्च को ज्ञानी रघबीर सिंह को अकाल तख्त के जत्थेदार पद से और ज्ञानी सुल्तान सिंह को तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार के पद से हटा दिया था।
एसजीपीसी ने सिख विद्वान ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को तख्त श्री केसगढ़ साहिब का नया जत्थेदार नियुक्त किया है। वह अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार के रूप में भी काम करेंगे।
इससे पहले ज्ञानी हरप्रीत सिंह को 10 फरवरी को तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार के पद से हटा दिया गया था।
सोमवार को यहां बैठक में बागी अकाली नेताओं ने आरोप लगाया कि ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज द्वारा रूपनगर जिले के आनंदपुर साहिब में तख्त श्री केसगढ़ साहिब का कार्यभार संभालते समय पंथिक परंपराओं का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने प्रस्ताव पारित किया कि जत्थेदारों की नियुक्ति और उनके पदों से मुक्त करने के लिए एक कानूनी ढांचा विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने एसजीपीसी सदस्यों से आगे आकर तीन जत्थेदारों - ज्ञानी रघबीर सिंह, ज्ञानी सुल्तान सिंह और ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाने के एसजीपीसी कार्यकारी समिति के कदम को खारिज करने की भी अपील की।
इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने पंजाब के मुख्य सचिव से तीन जिलों के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक जांच की सिफारिश करने को कहा है। इन अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर ‘पंथिक’ संगठनों के वीडियो बयान साझा करने का आरोप है, जिससे सिख समुदाय के विभिन्न वर्गों के बीच भावनाएं भड़क सकती हैं और झड़पें हो सकती हैं।
पार्टी नेता दलजीत सिंह चीमा ने एक बयान में आरोप लगाया, ‘‘भड़काऊ मामले प्रसारित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होनी चाहिए।’’
आप सरकार से खालसा पंथ के अंदरूनी मामलों में दखल न देने की मांग करते हुए चीमा ने कहा, ‘‘हमारे पास उन पंथिक संगठनों के खिलाफ कुछ नहीं है, जिन्हें ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को श्री केसगढ़ साहिब का नया जत्थेदार बनाने पर कुछ आपत्ति थी। वास्तव में वे बहुत सम्मानित हैं।’’
चीमा ने तंज कसा कि आप सरकार ने सिख समूहों के बीच टकराव पैदा करने के लिए बहुत मेहनत की है।
उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि शिरोमणि कमेटी ने आज तड़के श्री केसगढ़ साहिब में नए जत्थेदार को नियुक्त करने का फैसला किया।’’
ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने सोमवार को रूपनगर जिले के आनंदपुर साहिब में तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार और अमृतसर में अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार के रूप में कार्यभार संभाला।
विभिन्न निहंग समूहों ने नए जत्थेदार की नियुक्ति का विरोध करते हुए कहा कि 'खालसा पंथ' उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा।
यह समारोह निर्धारित समय सुबह 10 बजे के बजाय सोमवार को तड़के ही आयोजित किया गया, ऐसा प्रत्यक्ष तौर पर विभिन्न निहंग संगठनों द्वारा इस कार्यक्रम को विफल करने की धमकियों के मद्देनजर किया गया।
भाषा रंजन