अदालत ने पीथमपुर संयंत्र में यूनियन कार्बाइड अपशिष्ट निस्तारण के ‘परीक्षण’ की अनुमति दी
जितेंद्र माधव
- 18 Feb 2025, 04:46 PM
- Updated: 04:46 PM
जबलपुर, 18 फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को भोपाल स्थित बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकले 40 वर्ष पुराने रासायनिक कचरे को धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में निस्तारण का परीक्षण करने की मंगलवार को अनुमति दे दी।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने यहां सुनवाई के बाद संवाददाताओं को बताया कि 27 फरवरी से तीन चरणों में परीक्षण के तौर पर कचरे का निस्तारण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार ने मंगलवार को कचरा निस्तारण प्रक्रिया के बारे में जन जागरूकता फैलाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जनवरी में उच्च न्यायालय द्वारा मांगी गई अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की।
पीथमपुर के स्थानीय लोग अपने क्षेत्र में कचरे के नियोजित निस्तारण का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
भोपाल गैस त्रासदी में 5,000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी।
सरकार ने अदालत से अनुरोध किया था कि जागरूकता अभियान चलाया गया है और अब निस्तारण का परीक्षण करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
सिंह ने बताया कि परीक्षण तीन चरणों में किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक चरण में 10 टन कचरे का निस्तारण होगा।
उन्होंने बताया कि पहले परीक्षण में 135 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से कचरे का निस्तारण किया जाएगा जबकि दूसरे और तीसरे चरण में इसे बढ़ाकर 180 किलोग्राम प्रति घंटे और 270 किलोग्राम प्रति घंटे किया जाएगा।
महाधिवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, पहला परीक्षण 27 फरवरी को और दूसरा चार मार्च को किया जाएगा हालांकि तीसरे परीक्षण की तारीख अब तक तय नहीं की गई है।
उन्होंने बताया कि परीक्षण के नतीजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपे जाएंगे, जो उसके बाद ‘फीड रेट’ निर्धारित करेगा, जिस पर शेष कचरे का निस्तारण किया जाएगा।
यूनियन कार्बाइड संयंत्र से कुल 337 टन खतरनाक कचरा पीथमपुर निस्तारण संयंत्र पहुंचाया गया है।
अदालत में 27 मार्च को अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाएगी।
पीथमपुर में कचरे के नियोजित निस्तारण के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले स्थानीय निवासी सुमित रघुवंशी ने कहा कि वह और अन्य लोग अपने रुख पर अडिग हैं।
उन्होंने कहा, “हमने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है, जिसमें यह कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का निस्तारण पीथमपुर में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह शहर पहले से ही बहुत प्रदूषित है।”
रघुवंशी ने दावा किया कि इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 350 है और भूजल पीने योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि उच्च न्यायालय, पीथमपुर में कचरे के निस्तारण की अनुमति नहीं देगा। अदालत ने आज (मंगलवार को) हमारी याचिका पर सुनवाई की। संभवत: अगली सुनवाई में हमारी याचिका पर फैसला होगा।”
रघुवंशी ने न्यायालय में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि पीथमपुर के निवासियों ने निस्तारण का विरोध करते हुए राष्ट्रपति और भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक लाख पोस्टकार्ड भी भेजे हैं।
भाषा जितेंद्र