मोदी को लगता है कि मेरे पास संविधान की कोरी प्रति है क्योंकि उन्होंने इसे कभी पढ़ा ही नहीं: राहुल
देवेंद्र मनीषा
- 14 Nov 2024, 04:33 PM
- Updated: 04:33 PM
(फोटो के साथ)
नंदूरबार (महाराष्ट्र), 14 नवंबर (भाषा) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगता है कि संविधान की ‘लाल किताब’ कोरी है क्योंकि उन्होंने (मोदी ने) इसे कभी पढ़ा ही नहीं है।
गांधी ने महाराष्ट्र के नंदूरबार में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान में भारत की आत्मा और बिरसा मुंडा, डॉ. बी. आर. आंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्र नायकों द्वारा परिकल्पित सिद्धांत समाहित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को किताब के लाल रंग पर आपत्ति है (जिसे गांधी रैलियों में दिखाते रहे हैं)। लेकिन हमारे लिए, रंग चाहे जो भी हो, हम इसे (संविधान को) बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं। मोदी जी को लगता है कि संविधान पुस्तिका कोरी है क्योंकि उन्होंने इसे कभी अपने जीवन में पढ़ा ही नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मोदी जी, यह संविधान पुस्तिका कोरी नहीं है। इसमें भारत की आत्मा और ज्ञान है। इसमें बिरसा मुंडा, बुद्ध, महात्मा फुले, डॉ. आंबेडकर, महात्मा गांधी जैसे राष्ट्र नायकों के सिद्धांत समाहित हैं। अगर आप पुस्तिका को कोरी कहते हैं, तो आप इन नायकों का अपमान करते हैं।’’
लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व मिले।
भाजपा नेताओं ने 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान में गांधी द्वारा प्रदर्शित ‘‘लाल किताब’’ को ‘‘शहरी नक्सलवाद’’ से जोड़ने का प्रयास किया है।
गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ऐसी टिप्पणियां करके राष्ट्र नायकों का अपमान कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आदिवासियों को आदिवासी के बजाय ‘‘वनवासी’’ कहकर उनका अपमान करते हैं।
गांधी ने कहा, ‘‘आदिवासी देश के पहले मालिक हैं और जल, जंगल और जमीन पर पहला अधिकार उनका है। लेकिन भाजपा चाहती है कि आदिवासी जंगल में ही रहें, उनके पास कोई अधिकार नहीं है। बिरसा मुंडा ने इसके लिए लड़ाई लड़ी थी और अपने प्राणों का बलिदान दिया था।’’
विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के घोषणापत्र का हवाला देते हुए गांधी ने कहा कि महिलाओं, किसानों और युवाओं को 3,000 रुपये मासिक सहायता और निशुल्क बस यात्रा, तीन लाख रुपये तक के कृषि ऋण माफी और बेरोजगार युवाओं को 4,000 रुपये प्रति माह सहायता जैसे प्रावधानों के साथ संरक्षित किया जायेगा।
उन्होंने जाति आधारित गणना की मांग दोहराते हुए कहा कि इससे महाराष्ट्र में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों की संख्या और संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी का पता लगाने में मदद मिलेगी।
गांधी ने दावा किया कि वर्तमान में आठ प्रतिशत आदिवासी आबादी में से निर्णय लेने में उनकी हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से पांच लाख नौकरियां छीन ली गई हैं क्योंकि विभिन्न बड़ी परियोजनाएं अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दी गई हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार इसकी अनुमति नहीं देगी। महाराष्ट्र के लिए बनी परियोजनाएं यहीं रहेंगी जबकि गुजरात के लिए बनी परियोजनाएं वहां रहेंगी।
गांधी ने आरोप लगाया कि वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना, टाटा-एयरबस और आईफोन कंपनियों की विनिर्माण इकाइयां और एक पेट्रोकेमिकल संयंत्र को राज्य से बाहर ले जाया गया।
उन्होंने दावा किया कि सरकार चलाने वाले 90 अधिकारियों में से केवल एक आदिवासी समुदाय से है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इन 90 अधिकारियों को खर्च के लिए दिए जाने वाले 100 रुपये में से आदिवासी अधिकारी सिर्फ 10 पैसे के संबंध में ही फैसला लेता है। हर 100 लोगों में से आठ आदिवासी हैं जबकि आपकी भागीदारी 100 रुपये में से 10 पैसे की है। आदिवासी अधिकारी को अच्छे विभाग आवंटित नहीं किए जाते। हमें इसे बदलना होगा।’’
उन्होंने मीडिया घरानों और शीर्ष कंपनियों में काम कर रहे दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के सदस्यों की संख्या जानना चाही।
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कई आदिवासी श्रमिक हैं। मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि पिछड़े समुदायों, आदिवासियों और दलितों को सत्ता संरचना और निर्णय लेने में उनकी उचित भागीदारी मिले।’’
भाषा
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