क्या प्रधानमंत्री को लगता है कि जाति आधारित जनगणना विभाजनकारी होगी : कांग्रेस
वैभव मनीषा
- 13 Nov 2024, 11:28 AM
- Updated: 11:28 AM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बिहार को लेकर कई सवाल पूछे और जानना चाहा कि क्या उन्हें लगता है कि जाति आधारित जनगणना विभाजनकारी है और क्या वह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की ‘मनमानी’ सीमा को हटाने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे।
बिहार में प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों से पहले, कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि दरभंगा के दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री से उनके चार सवाल हैं।
रमेश ने पूछा कि दरभंगा में एम्स लाने में इतनी देरी क्यों हुई।
उन्होंने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘दरभंगा में एम्स की घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-2016 के केंद्रीय बजट में की थी। स्थानीय लोग तब से अस्पताल का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन काम शुरू होने में ही नौ साल लग गए। ऐसा प्रतीत होता है कि इसके लिए राजनीतिक श्रेय लेने की केंद्र सरकार की जिद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह सुनिश्चित करने की साजिश के कारण देरी हुई कि उन्हें इसका लाभ मिले।’’
रमेश ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री इस देरी पर कुछ बोलेंगे?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले 20 साल में मैथिली भाषा के विकास, संरक्षण और संवर्द्धन के लिए कुछ नहीं किया।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैथिली एक अनुसूचित भाषा है, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है। 1968 में राजभाषा संकल्प ने केंद्र और राज्यों को अनुसूचित भाषाओं के ‘पूर्ण विकास’ के वास्ते ‘ठोस उपाय’ करने के लिए बाध्य किया ताकि उनका तेजी से प्रसार हो और आधुनिक ज्ञान के संचार के प्रभावी साधन बनें।’’
रमेश ने कहा, ‘‘भाजपा ने केंद्र में अपने 10 साल और बिहार में 13 साल की सत्ता में इस संकल्प की पूरी तरह से अवहेलना की है। उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने से इनकार कर दिया। राज्य की मैथिली अकादमी एक टूटे-फूटे संगठन में बदलकर रह गई है, जिसके पास वर्षों से न तो कोई कोष है, न अध्यक्ष और न ही कोई कर्मचारी। नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और भाजपा ने इस भाषा की उपेक्षा क्यों की?’’
उन्होंने पूछा कि मुजफ्फरपुर, पूर्णिया या भागलपुर के लिए जिन हवाईअड्डों का वादा किया गया था, वे कहां हैं?
रमेश ने कहा, ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 18 अगस्त, 2015 को पूर्णिया में एक हवाईअड्डे का वादा किया था। छह साल हो गए हैं और इस बीच नीतीश कुमार तीन-तीन बार ‘यू-टर्न’ ले चुके हैं, लेकिन उनकी सरकार ने अभी तक वादा पूरा नहीं किया है। 2019 की रैली में मोदी जी ने मुजफ्फरपुर में पताही हवाईअड्डा खोलने का वादा किया था। 2023 में, गृह मंत्री अमित शाह ने भी पताही हवाई अड्डे पर परिचालन शुरू करने का वादा किया था, वहीं भाजपा ने पिछले साल दिवाली तक हवाईअड्डे पर पूरी तरह परिचालन शुरू करने का वादा किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, मार्च 2024 में एएआई ग्राउंड टीम ने पाया कि इसकी भूमि की चारदीवारी टूटी हुई है, और भैंसें रनवे पर घूमती हैं। आखिर सरकार 10 वर्षों से क्या कर रही है? मुजफ्फरपुर भी पूर्णिया और भागलपुर के साथ उन शहरों में शामिल हो गया है, जिन्हें हवाईअड्डों की ज़रूरत है और वे इसके हकदार भी हैं, लेकिन भारतीय जुमला पार्टी ने उन्हें केवल झूठे और टूटे वादे दिए हैं।’’
रमेश ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री सोचते हैं कि जाति जनगणना विभाजनकारी है?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस देशव्यापी सामाजिक और आर्थिक जाति जनगणना के लिए प्रतिबद्ध है और तेलंगाना में उसकी राज्य सरकार ने जनगणना कराना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और राजद के दबाव में, नीतीश सरकार को अक्टूबर 2023 में बिहार की जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय “देश को जाति के नाम पर विभाजित करने’’ का आरोप लगाया था।’’
रमेश ने पूछा कि अपने पुराने/नए सहयोगी (नीतीश) से हाथ मिलाने के बाद प्रधानमंत्री उनके द्वारा जारी किए गए जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों के बारे में क्या सोचते हैं?
उन्होंने कहा, ‘‘क्या वह इसे दशकीय जनगणना में आगे बढ़ाएंगे जो कि 2021 में होनी थी लेकिन अब जल्द होने की संभावना है? और क्या वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे?’’
भाषा वैभव