सेना की उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल ने बल की अभियान संबंधी तैयारियों की समीक्षा की
यासिर मनीषा
- 12 Nov 2024, 01:20 PM
- Updated: 01:20 PM
जम्मू, 12 नवंबर (भाषा) सेना की उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुधींद्र कुमार ने मंगलवार को बल की अभियान संबंधी तैयारियों की समीक्षा को लेकर यहां ‘व्हाइट नाइट कोर’ का दौरा किया। सेना ने यह जानकारी दी।
उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का 16वीं कोर मुख्यालय का दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब खासकर किश्तवाड़ जिले के सुदूर वन क्षेत्रों समेत विभिन्न स्थानों में आतंकवाद-रोधी अभियान तेज हो गए हैं। इन वन क्षेत्रों में पिछले पांच दिनों के भीतर आतंकियों ने दो अलग-अलग घटनाओं में एक जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) और दो ग्राम रक्षा रक्षकों (वीडीजी) की हत्या कर दी थी।
सेना की उत्तरी कमान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि ले. जनरल कुमार ने अभियान से संबंधित तैयारियों की समीक्षा के लिए ‘व्हाइट नाइट कोर’ का दौरा किया। इस कोर को 16 वीं कोर के रूप में भी जाना जाता है।
पोस्ट में कहा गया है, ‘‘सेना कमान ने सभी रैंकों के अधिकारियों को आतंकवाद विरोधी अभियानों में पेशेवर तरीकों और सतर्कता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया है।’’
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में की गई हत्याओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों के एक समूह का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए मंगलवार को छठे दिन भी किश्तवाड़ जिले के केशवान, कुंतवाड़ा तथा आसपास के वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान जारी रहा।
केशवान जंगल में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना की दो पैरा के जेसीओ नायब सूबेदार राकेश कुमार शहीद हो गए और तीन अन्य जवान घायल हो गए, जबकि दो वीडीजी - नजीर अहमद और कुलदीप कुमार को बृहस्पतिवार की शाम को समीपवर्ती कुंतवाड़ा के जंगल में अगवा कर गोली मार दी गई।
एक अधिकारी ने बताया कि तलाशी अभियान तेज होने के बावजूद फिलहाल आतंकी हाथ नहीं लगे हैं।
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष जम्मू में हुए आतंकवादी हमलों की घटना में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 44 लोग मारे गए हैं और हमले राजौरी तथा पुंछ के सीमावर्ती जिलों से लेकर अशांत क्षेत्र के छह अन्य इलाकों तक फैल गए हैं।
हालांकि राजौरी और पुंछ के पीर पंजाल जिलों में पिछले वर्षों की तुलना में 2024 में आतंकवादी गतिविधियों में काफी गिरावट देखी गई, लेकिन अप्रैल-मई के बाद से रियासी, डोडा, किश्तवाड़, कठुआ, उधमपुर और जम्मू में हुई घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
भाषा यासिर