भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में तेजी से प्रगति के लिए प्रयासरत: जर्मनी के चांसलर
निहारिका मनीषा
- 25 Oct 2024, 01:59 PM
- Updated: 01:59 PM
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार भारत और 27 देशों के यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता में तेजी से प्रगति और शीघ्र निष्कर्ष निकालने का प्रयास कर रही है।
‘एशिया पैसिफिक कॉन्फ्रेंस ऑफ जर्मन बिजनेस’ के यहां आयोजित 18वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए शोल्ज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में कहा, ‘‘ मुझे पूरा विश्वास है कि यदि हम दोनों मिलकर इस पर काम करें तो यह कार्य वर्षों के बजाय महीनों में पूरा हो सकता है।’’
शोल्ज भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बृहस्पतिवार रात दिल्ली पहुंचे। मोदी और शोल्ज हैदराबाद हाउस में सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता भी करेंगे।
जर्मनी के चांसलर ने कहा, ‘‘हम यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) चाहते हैं। मेरी सरकार तेज प्रगति और शीघ्र निष्कर्ष के लिए प्रयासरत है।’’
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हाल ही में कुशल भारतीय कर्मचारियों को जर्मनी आकर्षित करने की रणनीति पर सहमति व्यक्त की है।
शोल्ज ने कहा, ‘‘ आज हमारे विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समूह भारतीयों का है। पिछले वर्ष ही जर्मनी में काम करने वाले भारतीयों की संख्या में 23,000 की वृद्धि हुई। यह प्रतिभा हमारे श्रम बाजार में स्वागत योग्य है।’’
उन्होंने कहा कि जर्मनी अपनी वीजा प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर रहा है, प्रक्रियाओं में तेजी ला रहा है तथा उन्हें अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बना रहा है।
शोल्ज ने कहा, ‘‘ इसके साथ ही हम अनियमित प्रवास को कम कर रहे हैं और उन लोगों को वापसी की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें हमारे देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है। संदेश यह है कि जर्मनी कुशल श्रमिकों के लिए खुला है, हालांकि यह फैसला हम लेंगे कि किसे प्रवेश मिलेगा।’’
भारत और यूरोपीय संघ ने आठ वर्षों के अंतराल के बाद जून 2022 में वार्ता फिर से शुरू की। 2013 में कई मुद्दों पर मतभेदों के कारण यह वार्ता रुकी हुई थी।
चांसलर ने कहा, ‘‘ भारत के साथ हम रक्षा क्षेत्र में अपने सहयोग को और बढ़ाना चाहते हैं। अपनी सेनाओं को और करीब लाने पर हम सहमत हैं।’’
उन्होंने कहा कि देशों को एक ही देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, खासकर महत्वपूर्ण कच्चे माल और कुछ प्रौद्योगिकियों के सामरिक महत्व के मामले में।
शोल्ज ने विमानन, रेलवे तथा मोटर वाहन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ हमारे लिए जोखिम कम करने का मतलब है विविधीकरण... और यह विविधीकरण हो रहा है। देखिए कि हाल के वर्षों में भारत और जर्मनी का व्यापार किस तरह बढ़ा है।’’
उन्होंने साथ ही कहा कि चीन एक औद्योगिक दिग्गज है और उसे विकासशील देश के रूप में प्राप्त विशेष सुविधा छोड़ देनी चाहिए।
जर्मनी, यूरोपीय संघ में भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में भारत का जर्मनी को निर्यात करीब 10 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि आयात 16.7 अरब डॉलर था। भारत को जर्मनी से अच्छा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भी मिलता है।
गत वित्त वर्ष 2023-24 में जर्मनी से एफडीआई 50.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। अप्रैल 2000 से जून 2024 के दौरान निवेश 14.74 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
भाषा निहारिका