लाल किला विस्फोट और एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल : हम क्या जानते हैं
अविनाश
- 13 Nov 2025, 09:34 PM
- Updated: 09:34 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) फरीदाबाद का एक विश्वविद्यालय, 2900 किलोग्राम विस्फोटक की बरामदगी और कुछ ही घंटों बाद लाल किले के पास एक शक्तिशाली कार विस्फोट में 13 लोगों की मौत। 10 नवंबर के बाद से तीन दिनों में, आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। पूरे घटनाक्रम के बीच जानकारी कभी-कभी भ्रामक और कभी-कभी विरोधाभासी रूप में सामने आती है।
दक्षिण कश्मीर के तीन डॉक्टरों के इर्द-गिर्द केंद्रित एक आतंकी साजिश का पता लगाने के लिए एजेंसियां कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से कड़ियां जोड रही हैं। अधिकारियों ने जो बताया है, उसके आधार पर अब तक हम जो जानते हैं, वह इस प्रकार है...
जैश-ए-मोहम्मद द्वारा रची गई अंतरराज्यीय ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल के नाटकीय पात्रों में सबसे अहम नाम डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई उर्फ मुसैब का है। 10 नवंबर की सुबह पुलिस ने बताया कि फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय में गनई के किराए के घर से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ है। वह इसी विश्वविद्यालय में काम करता था। गनई दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के कोइल गांव का रहने वाला है।
इसके तुरंत बाद, विभिन्न राज्यों की पुलिस के साथ इस अभियान का समन्वय कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि विश्वविद्यालय और उसके आसपास से 2,900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ है और एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है।
डॉ. उमर नबी : दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड का रहने वाला 28 वर्षीय उमर 10 नवंबर की शाम को हुए विस्फोट वाली कार चला रहा था। उमर की मां के डीएनए नमूनों का घटनास्थल पर मिले अंगों से मिलान होने के बाद उसकी संलिप्तता की पुष्टि हुई। उमर भी अल फलाह में काम करता था। माना जाता है कि वह सबसे ज्यादा कट्टरपंथी था।
डॉ. मुजफ्फर राठेर : पुलिस अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े और काजीगुंड के मुजफ्फर की भी तलाश कर रही है। गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ के बाद वह जांच के घेरे में आया। गिरफ्तार किए गए लोगों ने जांचकर्ताओं को बताया कि उमर, गनई और मुजफ्फर 2021 में 18 दिनों के लिए तुर्किये गए थे। मुजफ्फर अगस्त में भारत से निकला था और माना जा रहा है कि वह अफगानिस्तान में है।
पुलिस ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया है। उसने कहा कि ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल उक्त तीनों द्वारा चलाया जा रहा था और वे पाकिस्तान में अपने आकाओं से बात करने के लिए ‘टेलीग्राम’ मंच का इस्तेमाल करते थे।
डॉ. शाहीन सईद : लखनऊ की महिला डॉक्टर शाहीन तीनों डॉक्टरों द्वारा रची जा रही साजिश की जानकारी रखती थी। गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में से सिर्फ शाहीन ही कश्मीरी नहीं है। वह छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी से पहले, योजनाबद्ध तरीके से एकत्र की जा रही रसद की जानकारी रखती थी।
शाहीन ने जांचकर्ताओं को बताया कि तीनों डॉक्टरों ने नेटवर्क का विस्तार करने में मदद की और अन्य लोगों को भी इसमें शामिल किया। इनमें हरियाणा का मौलवी इश्तियाक भी शामिल था, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस की हिरासत में है और अल फलाह में उसके किराए के परिसर का इस्तेमाल भी विस्फोटक रखने के लिए किया गया था।
कहां से मिला साजिश का सिरा : 18-19 अक्टूबर की रात को, श्रीनगर शहर के बाहर दीवारों पर प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर दिखाई दिए। इन पोस्टरों में घाटी में पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमलों की चेतावनी दी गई थी।
श्रीनगर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया। अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और मामले की गहन जांच के लिए एक टीम गठित की गई। सीसीटीवी फुटेज में पोस्टर चिपकाते हुए दिखाई देने के बाद तीन लोगों - आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद - को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ के दौरान, उन्होंने शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद का नाम लिया, जिसने पोस्टर मुहैया कराए थे। इरफान पहले पैरामेडिक के तौर पर काम करता था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
यही वह सूत्र था जिससे साजिश का पर्दाफाश हुआ। इरफान से पूछताछ के बाद ही अंततः जांचकर्ता अल फलाह विश्वविद्यालय और कश्मीरी डॉक्टरों के समूह तक पहुंचे।
अधिकारियों ने बताया कि गनई, उमर और मुजफ्फर को कट्टरपंथी बनाने में भी इरफान की अहम भूमिका थी। उन्होंने बताया कि तीनों ने खुले बाजार से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर खरीदकर उसका भंडारण शुरू कर दिया था।
इसी बीच, मुजफ्फर के भाई डॉ. अदील राठेर को सात नवंबर को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया। अनंतनाग अस्पताल में उसके लॉकर से एक एके-56 राइफल और अन्य गोला-बारूद जब्त किया गया। उसकी भूमिका अभी स्पष्ट नहीं है।
अल फलाह विश्वविद्यालय : दिल्ली से सटे फरीदाबाद के धौज गांव में स्थित यह विश्वविद्यालय 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुआ था। 76 एकड़ में फैले इस विश्वविद्यालय में अब एक मेडिकल कॉलेज, 650 बिस्तरों वाला एक अस्पताल और एक चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र है।
इसके अलावा, परिसर के अंदर तीन कॉलेज संचालित होते हैं - अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग।
पुलिस ने अब तक फरीदाबाद और आसपास के इलाकों से आरोपियों की तीन कारें जब्त की हैं।
भाषा शफीक