असम सरकार 1983 नेल्ली नरसंहार पर तिवारी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी
तान्या प्रशांत
- 13 Nov 2025, 10:54 PM
- Updated: 10:54 PM
गुवाहाटी, 13 नवंबर (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान राज्य विधानसभा के सदस्यों के बीच 1983 के नेल्ली नरसंहार की जांच करने वाले तिवारी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि असम में 1983 में अभूतपूर्व हिंसा हुई थी और उस समय 2000 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि लगभग तीन लाख लोग महीनों तक राहत शिविरों में रहे थे।
मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल बैठक के बाद मीडिया से कहा, "असम गण परिषद के प्रफुल्ल कुमार महंत के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने इसकी जांच के लिए त्रिभुवन प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। लेकिन वह रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।"
शर्मा ने कहा, "जब हमने पूछताछ की, तो पता चला कि 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में रिपोर्ट रखी थी और वादा किया था कि आने वाले दिनों में वह इसकी मुद्रित प्रतियां उपलब्ध कराएंगे। लेकिन यह रिपोर्ट विधायकों और सांसदों को नहीं दी गई और विधानसभा पुस्तकालय में भी यह उपलब्ध नहीं है।"
उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि रिपोर्ट विधानसभा के सदस्यों के बीच वितरित की जाएगी और इसकी प्रतियां विधानसभा पुस्तकालय को भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि, सदन में इस रिपोर्ट को न तो पेश किया जाएगा और न ही इस पर चर्चा की जाएगी।
शर्मा ने दावा किया, "आयोग ने घटना से पहले नेल्ली की वास्तविक स्थिति की जानकारी दी थी। रिपोर्ट के मेरे अध्ययन के अनुसार, आयोग ने कहा है कि घटना से पहले कई ऐसी घटनाएं घटी थीं जिनसे आदिवासी समुदाय में रोष था। बदले की कार्रवाई के तौर पर, आदिवासियों ने प्रवासी मुस्लिम समुदाय पर हमला किया था।"
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का मुख्य बिंदु घटना नहीं है, बल्कि 1951 के बाद से असम में हुए जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के बारे में है, कि किस प्रकार उस अवधि के दौरान असम की स्थानीय आबादी की कृषि भूमि में कमी आई तथा किस प्रकार बड़े पैमाने पर असमिया लोग अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान खो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, "इस रिपोर्ट में 1983 में असमिया लोगों की स्थिति का खूबसूरती से वर्णन किया गया है। मुझे लगता है कि यह रिपोर्ट आज भी प्रासंगिक है और यह हमारे इतिहास का एक हिस्सा है जिसे ताले में बंद करके नहीं रखना चाहिए। इसलिए हमने आम लोगों की बेहतर समझ के लिए इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने का फैसला किया।"
मध्य असम के मोरीगांव जिले के नेल्ली में घुसपैठियों के खिलाफ असम आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर अप्रवासी मुसलमानों की हत्या हुई थी और 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एजीपी सरकार के सत्ता में आने के बाद आयोग का गठन किया गया था।
भाषा तान्या