दिल्ली विस्फोट : हृदय रोग की पढ़ाई कर रहे छात्र को एटीएस ने उप्र से हिरासत में लिया
सं जफर राजेंद्र शोभना
- 13 Nov 2025, 10:58 PM
- Updated: 10:58 PM
कानपुर/हापुड़ (उप्र), 13 नवंबर (भाषा) दिल्ली में सोमवार को हुए विस्फोट की जांच के सिलसिले में जम्मू कश्मीर निवासी एक प्रोफेसर और एक मेडिकल विद्यार्थी को क्रमशः हापुड़ और कानपुर से हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
हापुड़ के पिलखुवा स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डाक्टर फारुख को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है।
सहायक पुलिस अधीक्षक विनीत भटनागर ने बताया कि ‘‘फारुख (जीएस मेडिकल कॉलेज) में पढ़ाता था और लगभग एक साल से कॉलेज परिसर में ही रह रहा था। उसे बुधवार रात परिसर से हिरासत में लिया गया।"
अधिकारी ने बताया कि वह जम्मू-कश्मीर का मूल निवासी है और उसने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की है।
प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक "सफेदपोश" आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद विश्वविद्यालय जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गया।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने कानपुर से हृदय रोग की शिक्षा प्राप्त कर रहे 32 वर्षीय मोहम्मद आरिफ मीर को हिरासत में लिया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि डॉक्टर मोहम्मद आरिफ राजकीय गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज में डीएम (कार्डियोलॉजी) प्रथम वर्ष का छात्र है। उन्हें एक अज्ञात स्थान से हिरासत में लिया गया।
बाद में, एटीएस की एक टीम ने नजीराबाद के अशोक नगर स्थित उसके किराए के आवास की तलाशी ली और फोरेंसिक जांच के लिए उसका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाया गया।
अधिकारी ने कहा, "उसका दिल्ली विस्फोट मामले में पहले से गिरफ्तार लोगों से आमना-सामना कराया जा सकता है।"
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के खगुर सादिवाड़ा क्षेत्र का मूल निवासी आरिफ, जीएसवीएम के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शाहीन सईद द्वारा किए गए खुलासे के बाद एटीएस के रडार पर आया, जिसे आतंकी मॉड्यूल के संबंध में गिरफ्तार किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट के दिन आरिफ, डॉ. शाहीन के नेटवर्क से कथित तौर पर जुड़े लोगों के साथ टेलीफोन पर संपर्क में था। सूत्रों ने बताया कि उसने हाल ही में जम्मू-कश्मीर का भी दौरा किया था, जिससे संदेह और बढ़ गया। जब एटीएस के जवान उसके घर पहुंचे, तो उसने कथित तौर पर अपने फ़ोन से डेटा डिलीट करने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने समय रहते फोन जब्त कर लिया।
उसके ‘कॉल रिकॉर्ड’ और संदेशों के प्रारंभिक विश्लेषण से कथित मास्टरमाइंड और अन्य संदिग्धों के साथ उसके संपर्क का संकेत मिला है।
जांचकर्ताओं का मानना है कि समूह ने संदेशों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साझा ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया, जो अक्सर आतंकवादी संगठन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से बचने के लिए अपनाते हैं।
इस घटना से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों और छात्रों में, खासकर हृदय रोग विभाग में खलबली मच गई है, जहाँ आरिफ ने तीन महीने पहले ऑल इंडिया काउंसलिंग के ज़रिए प्रवेश लिया था ।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (कार्डियोलॉजी) डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा, "डॉ. आरिफ ने तीन महीने पहले ऑल इंडिया काउंसलिंग के ज़रिए यहां प्रवेश लिया था । वह कल दोपहर ड्यूटी पर थे और बाद में कैंपस के बाहर अपने आवास पर चले गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ शाम लगभग सात बजे हमें बताया गया कि एक टीम उन्हें पूछताछ के लिए ले गई है। वह कश्मीर से थे और कैंपस के बाहर रहते थे। वह आते, चुपचाप काम करते और चले जाते थे।"
डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा कि एहतियात के तौर पर पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के सभी कार्डियोलॉजी छात्रों के संबंध में जांच शुरू कर दी गई है।
आरिफ के मकान मालिक कन्हैया लाल ने बताया कि डॉक्टर लगभग एक महीने से उनके घर की दूसरी मंजिल पर एक अन्य डॉक्टर अभिषेक के साथ किराए पर रह रहे था।
कन्हैया लाल ने संवाददाताओं को बताया, "शाम करीब साढ़े सात बजे, चार सदस्यों की एक टीम सीधे उसके कमरे में आई। उनके पास पहले से ही चाबियां थीं, उन्होंने पूरे कमरे की तलाशी ली, उसे फिर से बंद कर दिया और चुपचाप चले गए।"
उन्होंने बताया कि आरिफ ने कमरा किराए पर लेने से पहले अपना पहचान पत्र जमा कर दिया था और उन्होंने कभी कोई संदिग्ध गतिविधि या आगंतुक नहीं देखे।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की कि आरिफ को कानपुर में हिरासत में लिया गया था और बाद में आगे की पूछताछ के लिए केंद्रीय जाँच एजेंसियों को सौंप दिया गया।
कानपुर के पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्हें हिरासत की सूचना मिली थी और उन्होंने रिपोर्टों की पुष्टि के लिए एक टीम भेजी थी।
उन्होंने कहा, "हम तथ्यों की जांच कर रहे हैं। मैं पुष्टि के बाद ही कोई टिप्पणी करूंगा।"
हालांकि उन्होंने हिरासत की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया।
इस बीच, एटीएस और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की टीमें डॉ. शाहीन के नेटवर्क से जुड़े किसी भी अतिरिक्त लिंक का पता लगाने के लिए कानपुर में अभियान जारी रखे हुए हैं।
अधिकारियों ने संकेत दिया कि जांच आगे बढ़ने पर और नाम सामने आ सकते हैं।
भाषा सं जफर राजेंद्र