नियामकीय देरी, उच्च अनुपालन लागत से छोटे उद्यमों पर पड़ रहा असर: एसोचैम रिपोर्ट
रमण अजय
- 13 Nov 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उद्योग मंडल एसोचैम ने बृहस्पतिवार को कहा कि नियामकीय देरी, उच्च अनुपालन लागत और एक ही जगह हर प्रकार की मंजूरी व्यवस्था की कमी जैसी बाधाएं सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को अपनी क्षमता को हकीकत रूप देने से रोक रही हैं।
एसोचैम ने ‘भारतीय राज्यों में व्यापार करने में सुगमता’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को सशक्त बनाने के लिए त्वरित और राज्य स्तर सुधारों का आह्वान किया है।
रिपोर्ट में प्रमुख नियामक और अवसंरचनात्मक बाधाओं का उल्लेख किया गया है जो व्यावसायिक संचालन में बाधक बन रही हैं।
इनमें जटिल अनुमोदन और जटिल पंजीकरण प्रक्रियाओं, पैसे की वापसी में देरी, लगातार आईटीसी विवादों सहित जीएसटी से संबंधित बाधाएं, लॉजिस्टिक और अवसंरचना संबंधी बाधाएं शामिल हैं। इसके साथ पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में बिजली आपूर्ति की समस्या का भी जिक्र किया गया है, जो देरी और उत्पादन हानि का कारण बनती हैं।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि डिजिटल और समयबद्ध और एक ही जगह सभी प्रकार की मंजूरी के लिए एकल खिड़की व्यवस्था राज्यों में निवेश परिवेश को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इनके तत्काल कार्यान्वयन का आह्वान किया गया है, जहां वर्तमान प्रणाली बंटी हुई हैं।
रिपोर्ट में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली, गोवा, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश में सामने आने वाली कई नियामक और अवसंरचनात्मक समस्याओं का उल्लेख किया गया है।
यह रिपोर्ट भूमि, भवन एवं निर्माण, श्रम, पर्यावरण, व्यापार और कराधान सहित अन्य क्षेत्र-विशिष्ट मुद्दों का भी जिक्र करती है।
रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए केंद्र और राज्य-स्तरीय सुधारों को एक साथ लाने का आह्वान किया गया है। साथ ही उद्योग से प्राप्त कार्रवाई योग्य सुझावों को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
इसमें सुगम मंजूरी व्यवस्था, जीएसटी सुधार, समयबद्ध भूमि उपयोग बदलाव, श्रम कानून में सुधार और कंपनी-संबंधी नियमों को युक्तिसंगत बनाने की सिफारिश की गयी है।
रिपोर्ट बुनियादी ढांचे में सुधार और प्रक्रियाओं के मानकीकरण, सरलीकृत ई-वे बिल व्यवस्था, अलग से लॉजिस्टिक केंद्रों और अत्याधुनिक बिजली वितरण व्यवस्था की भी सिफारिश करती है।
इसमें कौशल विकास, प्रौद्योगिकी अपनाने, नवाचार, निर्यात संवर्धन और योजनाओं को लेकर जागरूकता के माध्यम से एमएसएमई को समर्थन देने की बात कही गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इन मुद्दों का समाधान करके, सरकार एक भरोसेमंद, पारदर्शी और कुशल कारोबारी माहौल बना सकती है।’’
भाषा रमण