सरकार निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना को लेकर जल्द 2,000 करोड़ रुपये आवंटित करेगी
रमण अजय
- 13 Nov 2025, 03:02 PM
- Updated: 03:02 PM
नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) सरकार जल्द ही निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना को लेकर 2,000 करोड़ रुपये आवंटित करेगी। सूत्रों ने यह यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) को पात्र निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक की ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
सूत्रों ने कहा कि कंपनी के पास पहले से ही कुछ राशि उपलब्ध है।
संसद के अनुदानों को मंजूरी दिए जाने के बाद अनुदानों की अनुपूरक मांगों के माध्यम से राशि प्रदान की जा सकती है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुधवार को निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) शुरू करने की मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य एमएसएमई सहित पात्र निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं प्रदान करने के लिए एनसीजीटीसी द्वारा सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) को 100 प्रतिशत ऋण गारंटी कवरेज प्रदान करना है।
यह योजना वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) एनसीजीटीसी के माध्यम से क्रियान्वित कर रहा है ताकि एमएसएमई सहित पात्र निर्यातकों को संबंधित वित्तीय संस्थान अतिरिक्त ऋण सहायता प्रदान कर सके।
योजना की प्रगति और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए डीएफएस सचिव की अध्यक्षता में एक प्रबंधन समिति गठित की जाएगी।
इस योजना से भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता में वृद्धि और नए व उभरते बाजारों में विविधीकरण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
सीजीएसई के तहत बिना किसी गारंटी के ऋण पहुंच की सुविधा से नकदी की स्थिति मजबूत होगी, सुचारू कामकाज सुनिश्चित होगा और 1,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को गति मिलेगी।
निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसका 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 21 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। निर्यात-उन्मुख उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं, और एमएसएमई कुल निर्यात में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
निरंतर निर्यात वृद्धि भारत के चालू खाता शेष और व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में सहायक रही है।
निर्यातकों को अपने बाजारों में विविधता लाने और भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए बढ़ी हुई वित्तीय सहायता और पर्याप्त समय प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
ऐसे में, अतिरिक्त नकदी सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय सरकारी हस्तक्षेप से व्यावसायिक वृद्धि सुनिश्चित होगी और बाजारों का विस्तार भी संभव होगा।
भाषा रमण