सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 45,000 करोड़ रुपये की योजनाओं को दी मंजूरी
रमण अजय
- 12 Nov 2025, 10:23 PM
- Updated: 10:23 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को निर्यातकों की सहायता के लिए 45,000 करोड़ रुपये की दो योजनाओं को मंजूरी दी। इस पहल का मकसद निर्यातकों को उच्च अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से निपटने में मदद करना है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन का उद्देश्य विशेष रूप से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता को मजबूत करना है।
दूसरी योजना निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) है। यह निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक की बिना किसी गारंटी के ऋण सहायता सुनिश्चित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाने के बीच ये निर्णय लिए गए हैं।
भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहे हैं।
निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को दो उप-योजनाओं... निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा... के माध्यम से छह साल के लिए क्रियान्वित किया जाएगा। निर्यात प्रोत्साहन पर 10,401 करोड़ रुपये का व्यय होगा जबकि निर्यात दिशा पर 14,659 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह एक व्यापक मिशन है और यह पूरे निर्यात परिवेश को सहयोग प्रदान करेगा।
मिशन के तहत, हाल ही में वैश्विक शुल्क वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिक आधार पर सहायता प्रदान की जाएगी। इन क्षेत्रों में वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान तथा समुद्री उत्पाद शामिल हैं।
इन क्षेत्रों को अमेरिकी बाजार में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उच्च आयात शुल्क के कारण, सितंबर में अमेरिका को भारत का वस्तु निर्यात 11.93 प्रतिशत घटकर 5.46 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
निर्यात प्रोत्साहन के अंतर्गत ब्याज सहायता, तत्काल नकद के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचे गये सामान के बिलों की बिक्री (निर्यात फैक्टरिंग), कर्ज सुविधा, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे विभिन्न साधनों के माध्यम से एमएसएमई के लिए किफायती व्यापार वित्त तक पहुंच में सुधार पर ध्यान दिया जाएगा।
हालांकि, सरकार ने ब्याज सहायता का खुलासा नहीं किया है।
इसी प्रकार, निर्यात दिशा के अंतर्गत, गैर-वित्तीय सहायता पर ध्यान दिया जाएगा जो बाजार के लिए तैयार रहने में सहायता के साथ प्रतिस्पर्घी क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और लॉजिस्टिक और व्यापार के बारे में सटीक जानकारी और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।
निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) को 100 प्रतिशत ऋण गारंटी प्रदान करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लि. (एनसीजीटीसी) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, ताकि एमएसएमई सहित निर्यातकों को वित्तीय संस्थान अतिरिक्त ऋण सहायता प्रदान कर सके।
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित एक प्रबंधन समिति इस योजना की प्रगति और क्रियान्वयन को देखेगी।
आधिकारिक बयान के अनुसार, सीजीएसई योजना से भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ने और नए तथा उभरते बाजारों में विविधीकरण को समर्थन मिलने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया है कि सीजीएसई के तहत बिना किसी गारंटी के ऋण पहुंच की सुविधा से नकदी की स्थिति मजबूत होगी, सुचारू कामकाज सुनिश्चित होगा और 1,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को गति मिलेगी।
निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह कई निर्यात संवर्धन योजनाओं को एक व्यापक, परिणाम-आधारित और डिजिटल रूप से संचालित ढांचे में समेकित करके एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है।
फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ‘‘निर्यात संवर्धन मिशन भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण को बताता है। वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेपों को एक एकीकृत ढांचे के तहत लाकर, यह मिशन वैश्विक व्यापार के लिए निरंतरता, मजबूती और जवाबदेही प्रदान करता है।’’
भाषा रमण