पारंपरिक बीजों के संरक्षण के साथ नई किस्मों को बढ़ावा देने की जरूरत : कृषि मंत्री चौहान
राजेश राजेश अजय
- 12 Nov 2025, 07:52 PM
- Updated: 07:52 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को पारंपरिक बीजों के संरक्षण और नई उच्च उपज देने वाली किस्मों को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
एक सरकारी बयान के अनुसार, मंत्री ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण (पीपीवी और एफआरए) अधिनियम, 2001 की रजत जयंती और पीपीवी और एफआरए के 21वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘पादप जीनोम रक्षक पुरस्कार समारोह’ में भाग लिया।
चौहान ने पिछले दो दशक में प्राधिकरण की उपलब्धियों की सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘कई देशी फसल किस्में पोषण और पारिस्थितिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
मंत्री ने कहा कि कई पारंपरिक किस्में विलुप्त होने के कगार पर थीं, और किसानों के समर्पण के कारण ही इन बीजों को संरक्षित किया जा सका है।
पीपीवी और एफआरए अधिनियम के तहत, सरकार बीज किस्मों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 15 लाख रुपये तक की वित्तीय प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है।
चौहान ने कहा, ‘‘बीज किसान की सबसे बड़ी पूंजी है। यह हमारा मौलिक अधिकार है। जहां नई और उच्च उपज देने वाली किस्मों को बढ़ावा देना आवश्यक है, वहीं पारंपरिक बीजों का संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। दोनों के बीच संतुलन होना चाहिए।’’
चौहान ने कहा कि विभिन्न अंशधारकों से प्राप्त नए सुझावों पर विचार किया जाएगा और जहां भी आवश्यक होगा, पीपीवी और एफआरए अधिनियम के भविष्य के संशोधनों में उन्हें शामिल किया जाएगा।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि किसानों के बीच पीपीवी और एफआरए अधिनियम के बारे में जागरूकता सीमित है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज भी, कई किसान इस अधिनियम के लाभ से अनभिज्ञ हैं। पंजीकरण में प्रक्रियात्मक जटिलताएं हैं जिन्हें सरल बनाया जाना चाहिए। हमें पारदर्शिता बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि वास्तविक लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचें।’’
चौहान ने देशी किस्मों के ज्ञान को संरक्षित करने के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक डेटाबेस बनाने पर ज़ोर दिया।
उन्होंने बीज संरक्षण और जैव विविधता में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए देश भर के चुनिंदा किसान पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया।
पुरस्कार विजेताओं में तेलंगाना का सामुदायिक बीज बैंक, पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान का शिक्षा निकेतन, मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ, असम की सीआरएस-ना दिहिंग टेंगा उन्यान समिति, उत्तराखंड के भूपेंद्र जोशी, केरल के टी जोसेफ, बिहार के लक्षण प्रमाणिक, अनंतमूर्ति जे., नकुल सिंह और उत्तराखंड के नरेंद्र सिंह सहित विभिन्न श्रेणियों के अन्य लोग शामिल थे।
कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि संरक्षण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कृषि राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने मडुआ जैसी पारंपरिक फसलों के बीजों के संरक्षण के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने प्राधिकरण से इस संबंध में और अधिक सक्रिय कदम उठाने को कहा और कई देशी फसल प्रजातियों के औषधीय महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उनके संरक्षण और अनुसंधान-आधारित प्रचार का आह्वान किया।
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