अगले वित्त वर्ष के बजट के लिए एएआई का एल्युमीनियम पर सीमा शुल्क बढ़ाने का सुझाव
राजेश राजेश अजय
- 12 Nov 2025, 06:00 PM
- Updated: 06:00 PM
नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) केंद्रीय बजट 2026-27 से पहले एल्युमीनियम उद्योग के निकाय एएआई ने सरकार से कबाड़ (स्क्रैप) सहित सभी एल्युमीनियम उत्पादों पर मूल सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है ताकि निम्न-गुणवत्ता वाले आयात में वृद्धि को रोका जा सके और घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा की जा सके।
इसने कहा कि इस तरह के कदम से यूरोपीय संघ और चीन जैसे वैश्विक समकक्षों के अनुरूप एल्युमीनियम कबाड़ की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और भारत को धातु कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनने से रोका जा सकेगा।
खान सचिव पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में, एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) ने कहा, ‘‘...एल्युमीनियम क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, हमें ... अध्याय 76 के तहत सभी एल्युमीनियम उत्पादों पर मूल सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की आवश्यकता है।’’
इसने यह भी संकेत दिया कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त घरेलू क्षमता उपलब्ध होने के बावजूद घरेलू उद्योग बेरोकटोक आयात से जूझ रहा है। इसमें कहा गया है कि बढ़ते आयात के साथ, वित्त वर्ष 2025-26 में एल्युमीनियम के संबंध में भारत का व्यापार घाटा 3.4 अरब डॉलर (30,000 करोड़ रुपये) के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचने की आशंका है।
प्राथमिक एल्युमीनियम उत्पादों पर वर्तमान शुल्क 7.5 प्रतिशत है, जबकि एल्युमीनियम स्क्रैप पर 2.5 प्रतिशत और डाउनस्ट्रीम एल्युमीनियम वस्तुओं पर 7.5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के बीच शुल्क लगता है।
भारत को कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनने से रोकने के लिए, एएआई ने सरकार से एल्युमीनियम स्क्रैप पर यूरोपीय संघ (ईयू), मलेशिया और चीन द्वारा लागू किए गए मानकों के अनुरूप सख्त गुणवत्ता मानक लाने का भी अनुरोध किया है।
एएआई ने कहा कि इससे घरेलू कबाड़ बाजार का विकास होगा और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
एल्युमीनियम रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, वैमानिकी, बिजली, परिवहन और समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। इसे आधिकारिक तौर पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित अन्य देशों द्वारा एक महत्वपूर्ण, रणनीतिक धातु के रूप में मान्यता प्राप्त है।
पत्र में, एएआई ने कहा कि पर्याप्त शुल्क संरक्षण के बिना, भारत अधिशेष वैश्विक एल्युमीनियम के लिए डंपिंग ग्राउंड बनने के जोखिम का सामना कर रहा है, जिससे घरेलू उत्पादकों के निवेश को खतरा है, जिनका उद्देश्य आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े स्क्रैप आयातक भारत को प्राथमिक उत्पादकों के मानकों के अनुरूप, द्वितीयक एल्युमीनियम उद्योग के लिए स्क्रैप की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) मानदंडों को अपनाना चाहिए।
भाषा राजेश राजेश