प्रमुख हस्तियों ने फिल्म उद्योग की समस्याओं के हल के लिए विजयन से कानून बनाने की अपील की
आशीष अविनाश
- 04 Sep 2024, 10:16 PM
- Updated: 10:16 PM
तिरुवनंतपुरम, चार सितंबर (भाषा) लेखिका अरुंधति रॉय सहित 72 नामचीन हस्तियों ने एक संयुक्त अपील में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से सिनेमा जगत में महिलाओं के खिलाफ यौन अत्याचारों पर न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट में उठाई गई चिंताओं पर ध्यान देने के लिए एक कानून बनाने का आग्रह किया है।
अपील पर हस्ताक्षर करने वालों में उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और वृंदा ग्रोवर, सिनेमा जगत के प्रकाश राज, अपर्णा सेन, स्वरा भास्कर, संगीतकार टी एम कृष्णा, कुछ सेवानिवृत्त नौकरशाह और कई पत्रकार शामिल हैं, जिन्होंने न्यायमूर्ति हेमा समिति के गठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार से समग्र दृष्टिकोण की मांग की है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने जिन चिंताओं को उजागर किया है उनमें ‘‘रिपोर्ट में उल्लिखित यौन दुराचार और अपराधों पर ध्यान केंद्रित करना’’ और फिल्म उद्योग में काम करने की स्थिति, अनुबंधों की कमी, वेतन असमानता जैसे मुद्दे शामिल हैं, जिनका उल्लेख समिति के निष्कर्षों में भी किया गया है।
हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक टी एम कृष्णा ने सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त की और राज्य सरकार से समिति की रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने विजयन को लिखे अपने संयुक्त पत्र में कहा कि उद्योग में यौन उत्पीड़न और हिंसा के अपने अनुभवों के बारे में महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन से ‘‘मीडिया की चुनिंदा कवरेज को और बढ़ावा मिला है।’’
पत्र में यह भी कहा गया कि जिन महिलाओं ने अपनी दास्तान जनता और मीडिया के साथ साझा की हैं, उन्हें आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस से अत्यधिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। यह एक बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम है।
उन्होंने कहा कि सरकार को पुलिस और एसआईटी को सख्ती से निर्देश देना चाहिए कि वे महिलाओं पर दबाव न डालें, उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और उनके सर्वोत्तम हितों में काम करें।
उन्होंने पत्र में कहा है कि इन परिस्थितियों में, आरोप लगाने वाली महिलाओं को यह निर्णय लेने की अनुमति दी जानी चाहिए कि रिपोर्ट जारी होने के बाद वे अपने व्यक्तिगत अनुभवों के साथ किस प्रकार आगे बढ़ना चाहती हैं।
इसमें आगे कहा गया है कि राज्य सरकार को ‘‘जनता और मीडिया को संवेदनशील बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम में निवेश करना चाहिए’’, ताकि यौन शोषण की शिकार महिलाओं की ‘‘गवाही’’ पर सिर्फ इसलिए संदेह न किया जाए क्योंकि वे लंबे समय तक चलने वाले मामलों को नहीं लड़ सकती हैं या नहीं लड़ना चाहती हैं।
भाषा आशीष