‘यूं ही चला चल’...लड़ाकू पायलट, अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की सैर पर निकले
नेत्रपाल माधव
- 25 Jun 2025, 06:54 PM
- Updated: 06:54 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली/लखनऊ, 25 जून (भाषा) बुधवार को ‘स्पेसएक्स फाल्कन 9’ रॉकेट पर सवार होकर अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हुए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने पूरे देश की उम्मीदों को पंख लगा दिए और अपने उस सपने को साकार किया, जो संभवतः पहली बार उन्होंने तब देखा था जब वह बच्चे के रूप में एक एयर शो में गए थे।
रॉकेट के आसमान में प्रवेश करते ही भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए।
शुक्ला (39) के पास विभिन्न प्रकार के लड़ाकू जेट विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है।
लखनऊ में जन्मे शुक्ला इसरो-नासा समर्थित एक्सिओम स्पेस के वाणिज्यिक अंतरिक्ष यान का हिस्सा हैं, जो फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए 14 दिन की यात्रा पर रवाना हुआ है।
लाखों लोग अंतरिक्ष में उड़ने का सपना देखते हैं और शुक्ला जैसे कुछ लोग इसे साकार कर पाते हैं।
उनकी बड़ी बहन शुचि शुक्ला को याद है कि यह सब कब शुरू हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘बचपन में वह एक बार एयर शो देखने गया था। बाद में उसने मुझे बताया कि वह विमान की गति और ध्वनि से कितना मोहित हो गया था। फिर उसने उड़ने के अपने सपने के बारे में बताया, लेकिन निश्चित रूप से उस समय कोई नहीं बता सकता था कि वह अपने सपने को कितनी जल्दी पूरा करेगा।’’
शुचि ने प्रक्षेपण से पहले पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘एक भारतीय और उसकी बहन के तौर पर यह निश्चित रूप से बहुत गर्व का क्षण है, क्योंकि मेरे भाई की अंतरिक्ष यात्रा में एक अरब भारतीयों की उम्मीदें और आशीर्वाद है।’’
उन्होंने कहा कि वह अपनी अंतरिक्ष यात्रा में अपने साथ घर का खाना लेकर जा रहे हैं।
शुचि ने बताया कि शुभांशु शुक्ला को गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा बहुत पसंद है तथा ‘‘वह चाहते थे कि अंतरिक्ष यात्रा पर उनके सह-यात्री भी इसका स्वाद चखें।’’
उन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान के लिए 2019 में साथी परीक्षण पायलट प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप और अजीत कृष्णन के साथ भारत के अंतरिक्ष यात्री दल का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था। इस मिशन के 2027 में प्रक्षेपित होने की संभावना है।
अपने आदर्श राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान के एक साल बाद 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल होने से पहले लखनऊ के सिटी मोंटेसरी स्कूल (सीएमएस) से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की।
सिटी मोंटेसरी स्कूल की अलीगंज शाखा में बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने वाले शुभांशु ने एनडीए से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। उनके पास सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 सहित विभिन्न प्रकार के विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है।
शुक्ला के ‘बैक-अप’ अंतरिक्ष यात्री नायर ने कहा, ‘‘उनके अंदर वह इच्छा और ध्यान शक्ति है जो वह जीवन में चाहते हैं। एक बार जब वह निर्णय ले लेते हैं, जैसे कि, उदाहरण के लिए, आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय बनना, तो वह उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, अपने पूरे संसाधन और दिमाग को इसमें लगा देते हैं, और अन्य सभी बाधाओं को दूर कर देते हैं।’’
उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की है।
शुक्ला और गगनयान के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के गगारिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र और बेंगलुरु स्थित इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
‘एक्सिओम-4’ मिशन में शुक्ला के साथी, कमांडर पैगी व्हिटसन और हंगरी से मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू तथा पोलैंड से स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के मामले में उन्हें ‘‘संचालन में कुशल’’, ‘‘केंद्रित’’ और ‘‘बेहद चतुर’’ बताते हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों ने प्रक्षेपण के दिन की अपनी ‘प्लेलिस्ट’ साझा की।
उनका गाना ‘‘यूं ही चला चल...’’ जीवन को समर्पित एक गीत है, जिसमें यात्रा और अंतरिक्ष में उनके द्वारा किए गए कामों के बारे में बताया गया है। यह शाहरुख खान की फिल्म ‘स्वदेश’ से लिया गया है, जो संयोग से नासा के एक वैज्ञानिक के बारे में है।
प्रक्षेपण के 10 मिनट बाद अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी की परिक्रमा शुरू कर दी, जिसके बाद शुक्ला ने 41 वर्षों के बाद भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान में वापसी की घोषणा की।
शुक्ला ने कहा, ‘‘नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियो; 41 साल बाद हम अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं, यह कमाल की राइड (यात्रा) थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय हम साढ़े सात किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं और मेरे कंधे पर मेरे साथ मेरा तिरंगा है जो मुझे बता रहा है कि मैं अकेले नहीं, (बल्कि) मैं आप सबके साथ हूं।’’
शुक्ला ने कहा, ‘‘ये मेरी आईएसएस तक की यात्रा की शुरुआत नहीं है, (बल्कि) यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है और मैं चाहता हूं कि आप सभी देशवासी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आइए, हम सब मिलकर भारत की इस मानव अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत करें।’’
उनके गृहनगर लखनऊ में ‘सिटी मोंटेसरी स्कूल’ की संस्थापक-निदेशक डॉ. भारती गांधी ने कहा, “कई विद्यार्थियों ने हमें गौरव दिलाया है, लेकिन शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा हमेशा हर भारतीय बच्चे के लिए संभावना की किरण के रूप में चमकती रहेगी।”
सीएमएस की अध्यक्ष और प्रबंधक गीता गांधी किंगडन ने कहा, “हमारी कक्षाओं में एक जिज्ञासु युवा शिक्षार्थी से लेकर एक अंतरिक्ष यात्री तक शुक्ला की कहानी हमारे स्कूल के विश्व एकता और शांति के लिए शिक्षा के मिशन को खूबसूरती से दर्शाती है।”
शुक्ला के भावुक माता-पिता और रिश्तेदारों की आंखों में आंसू आ गए। जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी, शुक्ला के माता-पिता, शिक्षक और छात्र खुशी से नृत्य करने लगे।
उनके पिता शंभू शुक्ला ने कहा कि यह भाग्य ही था कि शुक्ला राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा दे सके।
उन्होंने कहा, ‘‘उसके सीएमएस के कुछ सहपाठी एनडीए का फॉर्म लेकर आए थे। उनमें से एक को लगा कि उसकी उम्र कुछ दिन अधिक हो गई है और उन्होंने शुभांशु से पूछा कि क्या वह इसके लिए आवेदन करना चाहेंगे। इस तरह से यह सब शुरू हुआ।’’
उनके पिता शंभू शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “यह न केवल हमारे लिए बल्कि हमारे देश के लिए भी एक महान क्षण है। हम इस समय क्या कह सकते हैं, मेरे पास अब शब्द नहीं हैं। मेरा आशीर्वाद हमेशा मेरे बेटे के साथ है।”
शुभांशु को उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पर बधाई देने वाले पोस्टर पूरे लखनऊ में लगे हुए हैं, वहीं सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ने ‘व्योमोत्सव’ का आयोजन कर ऑडिटोरियम परिसर को एक जीवंत ‘मिनी स्पेस सेंटर’ में बदल दिया।
लखनऊ में शुक्ला के स्कूल सीएमएस ने उनकी अंतरिक्ष उड़ान का जश्न मनाने के लिए एक ‘‘पब्लिक वॉच पार्टी’’ का आयोजन किया।
उनके पिता ने बताया कि सीएमएस में ही उनकी पहली मुलाकात उनकी पत्नी कामना से हुई थी, हालांकि उन दोनों का विवाह तय कार्यक्रम के अनुसार हुआ था।
उनका छह साल का बेटा किआश है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बेटे की एक अच्छी खूबी यह है कि अगर आप उसके पास 400 किलोग्राम का तनाव लेकर भी जाएं तो आप काफी हल्के होकर लौटेंगे।’’
आईएसएस में 14 दिन के प्रवास के दौरान, चालक दल के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्कूली छात्रों और अंतरिक्ष उद्योग के नेताओं के साथ बातचीत करने की उम्मीद है।
भाषा
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