जमीन धोखाधड़ी के आरोपी की याचिका खारिज, विदेश यात्रा पर प्रतिबंध जारी रहेगा
सं दीप्ति नोमान
- 13 Nov 2025, 08:04 PM
- Updated: 08:04 PM
नैनीताल, 13 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी से 95 लाख रुपये में भूखंड बेचने के आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपने खिलाफ जारी लुक-आउट सर्कुलर (एलओसी) को रद्द करने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता असद खान के खिलाफ एलओसी जारी करने में कोई अवैधता या अनियमितता नहीं बरती गई है और उसे जारी रखना उचित है।
हरिद्वार के बुग्गावाला थाने में प्रनीत कोहली ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि खान ने उनके बेटे मुदित कोहली को हरिद्वार में फर्जी दस्तावेजों के जरिए एक भूखंड बेचा था।
इसी संपत्ति से संबंधित दर्ज एक और प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि खान ने शिकायतकर्ता जुल्फान और उनके भाई के जाली हस्ताक्षर किए और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके मुदित कोहली को 95 लाख रुपये में जमीन बेच दी।
खान को जून 2022 में गिरफ्तार किया गया और बाद में 12 जुलाई 2022 को उसे जमानत मिल गयी। 20 जुलाई 2023 के एक आदेश के माध्यम से उसे अपने खिलाफ एलओसी जारी होने के बारे में पता चला।
अपनी याचिका में खान ने सर्कुलर जारी किए जाने को मनमाना और अवैध बताया और कहा कि उसने कभी भी न्यायिक कार्यवाही से बचने का प्रयास नहीं किया और जांच में पूरा सहयोग किया।
उसने कहा कि दो साल पहले जमानत पर रिहा होने के बाद से जांच एजेंसी ने उसे एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जिससे साफ है कि उसके फरार होने का कोई खतरा नहीं है।
खान ने दलील दी कि यह सर्कुलर दिशा निर्देशों के तहत जरूरी कोई कारण बताए बिना जारी किया गया है और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आवागमन की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उसने अपने बेटे से मिलने और पर्यटन के उद्देश्य से स्विट्जरलैंड और लंदन की विदेश यात्रा की अनुमति मांगी।
खान की याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि एलओसी विस्तृत जांच के बाद जारी किया गया तथा यह याचिकाकर्ता के विरुद्ध प्रत्यक्ष एवं अपराध साबित करने वाले साक्ष्य पर आधारित था।
राज्य सरकार ने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और यह सर्कुलर एक प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गंभीर अपराध का आरोपी न्यायिक कार्यवाही के दौरान उपलब्ध रहे और देश से भाग न सके ।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि याचिकाकर्ता वित्तीय लेनदेन से जुड़े जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में आरोपी है तथा जांच एजेंसी द्वारा पेश रिकॉर्ड से याचिकाकर्ता के विदेश में महत्वपूर्ण वित्तीय लेन-देन के बारे में पता चलता है जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि वह देश छोड़ सकता है।
भाषा सं दीप्ति