आपातकाल के समय जेल में निगरानी के लिए तैनात थे खुफिया अधिकारी: तत्कालीन जेल अधिकारी
अमित नरेश
- 25 Jun 2025, 06:13 PM
- Updated: 06:13 PM
(भास्कर मुखर्जी)
नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) तिहाड़ जेल के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने दावा किया है कि 1975 के आपातकाल के दौरान जांच एजेंसियों ने कर्मचारियों और राजनीतिक बंदियों पर निगरानी रखने के लिए जेल के अंदर अधिकारियों को गुप्त रूप से तैनात किया था।
1975 में तिहाड़ जेल में सहायक अधीक्षक के रूप में तैनात एच.सी. वर्मा की आयु उस समय 26 वर्ष थी। उन्होंने कहा कि शुरू में कर्मचारियों को बताया गया था कि वहां कुछ 'चरमपंथी' कैदी लाये जाने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि यद्यपि अनुशासन कायम था, लेकिन कई जेल कर्मचारी शिक्षकों और नेताओं सहित परिचितों की नजरबंदी से बहुत परेशान थे।
वर्मा बाद में जेल अधीक्षक बने थे। उन्होंने बंदियों में से एक अपने पूर्व स्कूल शिक्षक मास्टर सोमराज के साथ एक भावनात्मक मुलाकात को याद करते हुए कहा, ‘‘जब मैंने उन्हें देखा तो मैंने सहज ही उनके चरण स्पर्श किये। उन्होंने मुझे रोका और चेतावनी दी, 'जेल में ऐसा मत करो - यह तुम्हारे खिलाफ जा सकता है।’’
वर्मा ने कहा कि आपातकाल के शुरुआती दिनों में जेल अधिकारियों को आने वाले बंदियों की पहचान और संख्या के बारे में अंधेरे में रखा गया था।
वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमें बताया गया था कि खतरनाक चरमपंथियों को लाया जा रहा है। बाद में हमें पता चला कि वे प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे।’’
उन्होंने कहा कि राज नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और महारानी गायत्री देवी जैसे नेताओं सहित राजनीतिक बंदियों की अचानक आमद के बीच खुफिया तंत्र ने तेजी से काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें बाद में पता चला कि विभिन्न जांच एजेंसियों के अंडरकवर अधिकारियों को पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों, इलेक्ट्रीशियन और कई अन्य कामों के बहाने जेल के अंदर तैनात किया गया था। उनका काम न केवल कैदियों पर बल्कि जेल कर्मचारियों के आचरण पर भी नजर रखना था।’’
उन्होंने याद दिलाया कि गोपनीयता कानून के मामूली उल्लंघन पर भी त्वरित सजा दी जाती थी।
वर्मा ने कहा, ‘‘ऐसे ही एक मामले में, एक महिला वार्डन को एक प्रमुख नेता के बारे में एक बाहरी व्यक्ति से कथित तौर पर एक अनौपचारिक टिप्पणी करने के लिए तत्काल निलंबित कर दिया गया और हिरासत में ले लिया गया। हमें पता चला कि उसने केवल इतना कहा था कि नेता ठीक हैं। लेकिन कुछ ही घंटे के भीतर, उसे निलंबित कर दिया गया और उसी वार्ड में बंद कर दिया गया, जहां वह पहले बंदियों की निगरानी कर रही थी।’’
उन्होंने कहा कि विभिन्न जांच एजेंसियों की निगरानी नियमित आपूर्ति और खाद्य पदार्थों की जांच तक फैली हुई थी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बिना जांच के कुछ भी अंदर नहीं जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि जब एक कैदी के रिश्तेदार ने उसके जन्मदिन पर उसके लिए घर का बना खाना लाए, तो उसे लेने से मना कर दिया गया। एक जूनियर कर्मचारी ने जब उसे खाना पहुंचाने में मदद करने की कोशिश की, तो उसे भी निलंबित कर दिया गया।’’
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को ऑल इंडिया रेडियो पर एक प्रसारण में आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।
तिहाड़ में एक समय करीब 1,900 बंदी थे, जिनमें मीसा के तहत 350-400 राजनीतिक कैदी और भारत रक्षा नियम (डीआईआर) के तहत अन्य कैदी थे।
वर्मा ने कहा, "कठोर अपराधियों और हाई-प्रोफाइल राजनीतिक बंदियों को संभालना मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी थी।"
भाषा अमित